सनातन धर्म में गंगा नदी को माँ माना जाता है. गंगा को बहुत पवित्र माना जाता है. श्रीमद्भागवत गीता में गंगा के पृथ्वी पर अवतरण की कथा का उल्लेख है. ऋषि भागीरथ ने तपस्या करके गंगा को पृथ्वी पर लाया, इसलिए गंगा को भागिर भी कहा जाता है.

गंगोत्री ग्लेशियर यानी गोमुख से पिघलने वाली गंगा नदी अब धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. वैज्ञानिक दृष्टि से कहें तो गंगा नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है. नियत समय के अनुसार सरस्वती और पद्मा नदियों का पृथ्वी से अस्तित्व समाप्त हो गया और वे स्वर्ग चली गईं.
 
गंगा पृथ्वी पर कैसे आईं: मां गंगा के पृथ्वी पर आगमन की कहानी कहती है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए हिमालय में कठोर तपस्या की थी. भगवान ब्रह्मा प्रसन्न हुए और राजा भागीरथ को मंडल से गंगा का प्रवाह प्रदान किया. गंगा बहुत गहरी थी इसलिए भगवान भोलेनाथ ने इसे अपनी जटा में रखा और फिर धरती पर भेज दिया.
 
भागवत पुराण में गंगा के स्वर्ग लौटने का उल्लेख है: श्रीमद्भागवत पुराण में मां गंगा के स्वर्ग लौटने का उल्लेख है, इस ग्रंथ में भगवान विष्णु नारदजी से कहते हैं कि कलयुग के 5000 वर्ष बाद जब पृथ्वी पर पाप बढ़ जाएगा और धर्म नष्ट होने लगेगा. लोगों के मन में लालच, वासना और छल का वास होगा. फिर उन्हें गंगा स्नान से कोई लाभ नहीं मिलेगा. ऐसे में मां गंगा पूर्ण हो कर वापस स्वर्ग लौट जाएंगी.

श्रीमद्भागवत के अनुसार, गंगा नदी एक बार स्वर्ग लौट सकती है. इसके लिए एक कथा कही जाती है: एक बार गंगा और सरस्वती में विवाद हो गया. लक्ष्मी उन्हें बचाने के लिए आईं, लेकिन सरस्वती ने उन्हें पेड़ और नदी के रूप में पृथ्वी पर पापियों के पापों को स्वीकार करने का शाप दिया.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा नदी लगभग 14 हजार साल पहले धरती पर आई थी. राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा नदी पृथ्वी पर आयीं. भगवान शिव ने गंगा को धरती पर लाने के लिए अपनी जटा का उपयोग किया था. गंगा नदी को जल प्रदान करने वाले ग्लेशियर के 2030 तक लुप्त हो जाने की आशंका है.

गंगा से पहले भारत में बहती थी यह नदी: शोध के अनुसार गंगा नदी से पहले सरस्वती नदी का अस्तित्व था. सरस्वती वैदिक सभ्यता की सबसे बड़ी एवं प्रमुख नदी थी. ऋग्वेद में सरस्वती नदी का उल्लेख है और इसके महत्व को दर्शाया गया है. महाभारत में भी सरस्वती का उल्लेख है और कहा जाता है कि यह एक लुप्त हो जाने वाली नदी है, जिस नदी से यह लुप्त हुई उसका नाम विनाशन है. इसी नदी के तट पर ब्रह्मावर्त, कुरूक्षेत्र था, लेकिन आज वहां जलाशय है. विशेषज्ञों के अनुसार प्राचीन काल में सतलुज और यमुना का संगम सरस्वती नदी में होता था. ऐसा माना जाता है कि प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, इसलिए इसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है.

सरस्वती नदी की उत्पत्ति: वैदिक ग्रंथों के अनुसार, पृथ्वी पर नदियों की कहानी सरस्वती से शुरू होती है. सबसे बड़ी नदी सरस्वती सबसे पहले पुष्कर के ब्रह्म सरोवर से निकली थी. कहा जाता है कि प्राचीन काल में हिमालय से निकलने वाली यह विशाल नदी हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात से होकर पाकिस्तान के वर्तमान सिंध क्षेत्र तक पहुँचती थी और सिंधु सागर (अरब पर्वत श्रृंखला) में बहती थी.

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When will Hindus sacred River Ganges disappear time from the Earth? know when will the river return to heaven? written in Puranas
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गंगा के धरती से लुप्त होने का आ रहा समय, जानें कब नदी स्वर्ग लौट जाएगी?
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गंगा के धरती से लुप्त होने का आ रहा समय, जानें कब नदी स्वर्ग लौट जाएगी?

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