देश के विख्यात वैज्ञानिक, पूर्व इसरो चीफ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के मसौदा समिति के अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन का निधन हो गया है. 84 साल के पूर्व इसरो प्रमुख ने बेंगलुरु के आवास पर अंतिम सांस ली. पीएम ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह देश के महान वैज्ञानिक और शिक्षाविद थे. उन्होंने लगभग 5 दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी थीं. वह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रहे थे. शिक्षा में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और शिक्षा के जरिए देश में असमानता की गहरी खाई कम करने के उपायों को प्राथमिकता देने वाले शिक्षाविद के तौर पर उनकी पहचान थी. अधिकारियों ने बताया कि आम लोगों के दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर शनिवार को रमन इंस्टिट्यूट में रखा जाएगा.
NEP 2020 को तैयार करने में निभाई थी अहम भूमिका
के. कस्तूरीरंगन का योगदान इसरो और रॉकेट विज्ञान के क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था. पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए उन्हें महान वैज्ञानिक और शिक्षा व्यवस्था में अहम सुधार करने वाले शिक्षाविद के तौर पर याद किया है. चर्चित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का तैयार करने वाली मसौदा समिति के भी प्रमुख थे. उनके नेतृत्व में ही नई शिक्षा नीति तैयार की गई थी. इसके अलावा, वह बेंगलुरु के नेशनल एडवांस्ड रिसर्च इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर और जेएनयू के वीसी के तौर पर भी सेवाएं दी थीं. साल 2003 से 2009 तक वह राज्यसभा के भी सदस्य रहे थे और योजना आयोग सदस्य के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी थीं.
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के. कस्तूरीरंगन स्कूली शिक्षा में सुधार के बड़े हिमायती थे. उनका मानना था कि स्कूली जीवन से ही बच्चों में विज्ञान और रिसर्च के लिए रुचि बनाने का काम होना चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस तरह के प्रयासों पर जोर देने की बात कही गई है जिससे बच्चे पाठ्यक्रम से इतर भी सोचने और ज्ञान हासिल करने की कोशिश करें.
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के. कस्तूरीरंगन का निधन
ISRO के पूर्व प्रमुफ कस्तूरीरंगन का निधन, अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर नई शिक्षा नीति निर्माण में निभाई थी बड़ी भूमिका