भारत साल1947 में अंग्रेजों से आजाद हुआ. उस वक्त चीन की भी भारत जैसी हालत थी, लेकिन आज चीन हमसे आगे है और हम पीछे. इसकी वजह क्या?
बिहार के फेमस टीचर खान सर से जब ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने ऐसा दिलचस्प जवाब दिया कि आपके भी दिमागी की बत्ती खुल जाएगी.
Raj Shamani के साथ पॉडकास्ट में खान सर ने कहा चीन दुनिया पर राज करेगा. वो झूठी बात नहीं बोलता है. भारत में न कोई काम की यूनिवर्सिटी है, जिसके बारे में हम दुनिया में कह सकें, न कोई टेक्नोलॉजी है. हम ड्रोन भी नहीं बना पा रहे हैं. युद्ध ड्रोन पर चला गया है. हम लोग फाल्स ईगो में जी रहे हैं. चीन ऐसा नहीं करता है. एक होती है रियलिस्टिक सोच और एक होती आइडियोलॉजिकल सोच. आइडियोलॉजिकल सोच में आप सोचते हैं कि काश ऐसा होता, काश दुनिया ऐसी होती. हम उसी में जी रहे हैं. चीन रियलिस्टिक है. उन्हें पता है कि अगर सड़क बननी है तो बनेगी. भारत में ज्यादातर युवा अंग्रेजी के दबाव में हैं. यहां अंग्रेजी थोपी जाती है. युवाओं का समय अंग्रेजी में चला गया है. यूपी, बिहार, झारखंड, हरियाणा के बच्चे जो कि मेजर पॉपुलेशन को होल्ड करते हैं. पूरे नॉर्थ बेल्ट को ही पकड़ लीजिए. इतने लेबोरियस बच्चे हैं. पर उनके पास दिक्कत पैसे की है. पैसे की कमी की वजह से वे अच्छे स्कूल में नहीं जा पाते और इस वजह से उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है. अब वे खुद को लो फील करते हैं.
चीन ने अंग्रेजी का वर्चस्व नहीं माना- खान सर
1970 के आसपास में चीन में Mao Zedong आए. उन्होंने कहा कि भाड़ में जाए अंग्रेजी. मंदारिन भाषा बोले. उसी में सीखेंगे. आज आप देखिए कि वहां के प्राइम मिनिस्टर को भी अंग्रेजी उतनी अच्छी नहीं आती. क्या बराक ओबामा को हिंदी आती है? तो मोदी को इंग्लिश नहीं आएगी तो क्या दिक्कत है? जहां जरूरत पड़ेगी वहां एक ट्रांसलेटर रख लिया जाएगा. तो जो ब्रेन वर्क होना चाहिए था मेन काम पर वो हट गया. चीन में ऐसी स्थिति नहीं आई. चीन में अगर आप टॉप लेवल की बात करेंगे तो चीन की भाषा में ही बात करनी होगी. चीन ने टेक्नोलॉजी लगा ली. वो रियल टाइम में भाषा का अनुवाद दे देगा. चीन ने तकनीक का इस्तेमाल किया.
'भारत में पुरुषों पर कमाई का बोझ'
चीन की फैक्ट्रीज में महिलाएं काम कर रही हैं. जब प्रोडक्ट बनकर आता है तो उसकी मार्केटिंग, सेल ज्यादातर पुरुष संभाल रहे हैं. अगर एक इनडोर संभाल रहा है तो दूसरा आउटडोर संभाल रहा है. मतलब मेल और फीमेल दोनों काम में लगे हैं. हमारे यहां महिलाओं को मौका नहीं दिया जाता. महिलाओं को जिन क्षेत्रों में मौका दिया गया, वहां अच्छा किया. भारत में लड़कों पर पैसा कमाने की जिम्मेदारी थोप दी गई. बच्चा बाहर जाकर किस स्थिति में पैसा कमा रहा है, किसी को नहीं पता. घर वालों को ये पता है कि बेटा है कमाकर लाएगा. घर की इज्जत औरतों के हवाल कर दी और कमाने की पुरुषों को. भारत में अगर किसी को बद्दुआ देनी है तो वो घर के पुरुष को बद्दुआ देता है. मतलब घर की फाइनेंशियल कंडीशन को बद्दुआ देता है. अगर उसे किसी की इज्जत डाउन करनी है तो महिला को गाली देगा.हम लोग महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और शर्म आनी चाहिए कि दो पुरुषों की लड़ाई में गालियां महिलाएं सुन रही हैं. तो महिलाओं को सशक्तिकरण कहां से होगा. मतलब जिस लड़ाई में वो है भी नहीं, तो उसे गाली दी जा रही है. चीन में ऐसी स्थिति नहीं है.
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'चीन में वन नेशन वन एजुकेशन सिस्टम'
चीन में छात्रों की स्थिति को लेकर खान सर कहते हैं कि वहां कोचिंग सिस्टम नहीं है. वहां वन नेशन वन एजुकेशन का नारा है, जबकि हमारे यहां वन नेशन वन इलेक्शन की बात हो रही है. भारत में कोचिंग की जरूरत तब पड़ती है जब स्कूलिंग सिस्टम मजबूत नहीं होता है तब बच्चे कोचिंग के लिए जाते हैं. भारत में अमीर की पढ़ाई अलग और गरीब की पढ़ाई अलग होती है. एक को खिला पिलाकर तैयार किया और एक का पैर तोड़ दिया. अब दोनों की रेस करवा रहे हैं. कौन जीतेगा? अमीर का हॉस्पिटल अलग है और गरीब का अलग है. अमीर का इलाज तुरंत हो जाएगा और गरीब को दो महीना पहले लाइन लगानी पड़ेगी. हमने भारत को जाति, गरीबी, राज्य के आधार पर बांट रखा है. तो इसे कैसे सुधारा जाए.
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चीन भारत से आगे, पाकिस्तान पीछे क्यों... खान सर ने बताई दिमाग की बत्ती खोलने वाली वजह, अंग्रेजी भाषा को बताया 'मेन विलेन'