मार्च में जब आईपीएल 2025 शुरू हुआ, तो क्रिकेट एक्सपर्ट्स के साथ साथ कई फैंस भी ऐसे थे, जिनका मानना था कि सीएसके का शुमार उन टीमों में है जिन्होंने अगर अच्छा खेला और संयम का परिचय दिया तो कप चेन्नई आ सकता है. वहीं वो लोग जो दूसरी टीमों को सपोर्ट कर रहे थे, सीएसके को लेकर उनका यही कहना था कि, टीम अगर क्वालीफाई नहीं भी कर पाई तो भी धोनी के चलते टीम पॉइंट टेबल में टॉप 5 पर रहेगी. एक तरफ ये तमाम बातें हैं. दूसरी तरफ हाल के मैचों में सीएसके और धोनी का प्रदर्शन है. जिसे देखकर वो तमाम लोग आहत हैं, जिन्हें सीएसके पसंद है या फिर जो अपने को धोनी का फैन कहते थे.
ध्यान रहे कि सीएसके के लिए ये सीजन बहुत ख़राब साबित हुआ है. टीम ने अपने पहले पांच मैचों में 4 में हार का मुंह देखा है. टीम लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही है और इसमें भी सबसे ज्यादा आलोचना महेंद्र सिंह धोनी के परफॉरमेंस को लेकर हो रही हैं.
क्योंकि एक बड़ा वर्ग है, जो इस बात को मानता है कि धोनी ही सीएसके की रीढ़ हैं. इसलिए कहा यह भी जा रहा है कि अपनी अब तक की उपलब्धियों का सम्मान करते हुए धोनी को आगे आना चाहिए और स्वेच्छा से अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर देनी चाहिए. सवाल ये है कि क्या एक टीम के रूप में सीएसके की हालत के लिए अकेले धोनी जिम्मेदार हैं? क्या अब वो वक़्त आ गया है जब धोनी को मार्गदर्शक मंडल में आ जाना चाहिए?
सीएसके के मद्देनजर कहने और बताने को यूं तो कई बातें हो सकती हैं. लेकिन हम इतना जरूर कहेंगे कि जब पूरी टीम ही परफॉर्म नहीं कर पा रही है तो किसी एक और उसमें भी विशेषकर धोनी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
अब तक सीएसके ने जितने भी मैच खेले हैं, यदि उन्हें देखें और उनका अवलोकन करें तो कुछ बातें खुद ब खुद साफ़ हो जाती हैं. चाहे टीम के ओपनर हों या फिर फर्स्ट डाउन, सेकंड डाउन किसी का भी अब तक का प्रदर्शन ऐसा नहीं है जिसको देखकर ये कहा जाए कि अगर धोनी टीम से चले भी जाएं तो ये बल्लेबाज टीम को और टीम के स्कोर को संभाल लेगा.
आगे तमाम बातें होंगी. लेकिन उससे पहले हमें धोनी के पुराने साथी और टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबज रॉबिन उथप्पा का रुख कर सके हैं. यूं तो उथप्पा ने धोनी का समर्थन ही किया है. बावजूद इसके उन्होंने ऐसा बहुत कुछ कह दिया है, जिसे यदि टीम सीएसके सुन ले तो यक़ीनन टीम की स्थिति कुछ अच्छी हो जाएगी.
उथप्पा ने कहा है कि धोनी जिस तरह के बल्लेबाज हैं उन्हें बैटिंग आर्डर में ऊपर आना चाहिए. मामले पर अपना पक्ष रखते हुए उथप्पा ने कहा है कि धोनी में इरादों की कोई कमी नहीं है. उथप्पा के अनुसार तमाम ऐसे मौके आए हैं जब धोनी ने अन्य लोगों को जिम्मेदारी सौंपी है जिनका निर्वाह उन लोगों से बखूबी किया है. उथप्पा का ये भी कहना है कि यदि यदि को ऊपर लाया जाता है तो यक़ीनन स्थिति कुछ अलग होगी.
ध्यान रहे कि यहां बात टीम के क्रम की हुई है तो बता देना बहुत जरूरी है कि चाहे वो रुतुराज गायकवाड़ और रचिन रविंद्र हों. या फिर मिडिल ऑर्डर में शिवम दुबे मौजूदा टीम में हमें कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं दिखता, जिसे देखकर कहा जाए कि ये टीम को किसी मुकाम पर ले जा सकता है. इसी तरह टीम के पास कोई ऐसा फिनिशर भी नहीं है.
किसी भी मैच को उठा लें, तो चाहे वो टीम के ओपनर हों या फिर मिडिल आर्डर इनके द्वारा शुरुआत तो अच्छी की जा रही है. लेकिन जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है खिलाड़ी अपनी तरफ से उस पेस को मेंटेन नहीं कर पाते हैं.
सीएसके की परफॉरमेंस पर टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी मदन लाल का भी यही कहना है कि कोई भी टीम एक खिलाड़ी (धोनी) पर निर्भर नहीं रह सकती. यदि टीम को कुछ चमत्कार करना है तो सभी को अपने अपने स्तर से उसमें योगदान देना ही होगा.
गौरतलब है कि बतौर फैंस हम एक वो दौर भी देख चुके हैं, जब एक इवेंट के रूप में आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की तूती बोलती थी. चाहे वो टीम के ओपनर्स रहें हों या फिर मिडिल आर्डर और फिनिशर टीम में सब कुछ बैलेंस था. कह सकते हैं कि तब उस समय खिलाड़ियों का खौफ कुछ ऐसा होता था कि कई बार तो टीमें सिर्फ सीएसके की टीम को देखकर सिर्फ खौफ के चलतए मैच हार जाती थीं.
बहरहाल, अब जबकि हम टीम सीएसके का ये हाल देख चुके हैं और इस बात को भी जानते हैं कि पूरी टीम धोनी भरोसे है. तो आगामी मैचों के लिए टीम को धोनी की पोजीशन में फेर बदल करना चाहिए. यदि ऐसा हो जाता है तो ही टीम सीएसके आईपीएल के आगे के मैचों में कुछ चमत्कार कर उदास फैंस को खुश कर पाएगी.
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