दुर्दांत और मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद द्वारा सह-स्थापित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने मंगलवार को पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या की जिम्मेदारी ली है. सऊदी अरब के अपने दौरे को बीच में छोड़कर बुधवार सुबह दिल्ली पहुंचे पीएम मोदी ने पहलगाम को लेकर हवाई अड्डे पर एनएसए अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हाई लेवल बैठक की. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी बैसरन पहुंचे. उन्होंने श्रीनगर में पुलिस कंट्रोल रूम के बाहर एक समारोह में इस आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी.

चूंकि इस कायराना हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ नाम के संगठन ने ली है. इसलिए हमारे लिए भी ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर टीआरएफ क्या है? इसकी स्थापना कैसे हुई? इसके द्वारा अब तक देश दुनिया में कितने हमलों को अंजाम दिया गया है?  साथ ही आइये यह भी जानें कि पहलगाम में हुए हमले का असली मास्टर माइंड कौन है. 

आखिर क्या है द रेजिस्टेंस फ्रंट या टीआरएफ? 

संगठन के विषय में जो जानकारी बाहर आई है, उसके अनुसार टीआरएफ 2019 में लश्कर के एक छद्म संगठन के रूप में उस वक़्त अस्तित्व में आया, जब अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया. कुछ मीडिया आउटलेट्स ने कराची पुलिस का हवाला देकर इस बात की तस्दीक की है कि टीआरएफ ने लश्कर के अलावा तहरीक-ए-मिल्लत इस्लामिया और गजनवी हिंद सहित विभिन्न संगठनों के एक समूह के रूप में जमीन पर आकार लेना शुरू कर दिया.

गृह मंत्रालय (एमएचए) की अधिसूचना में कहा गया है, 'टीआरएफ आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन माध्यम से युवाओं की भर्ती कर रहा है और आतंकवादी गतिविधियों, आतंकवादियों की भर्ती, आतंकवादियों की घुसपैठ और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के बारे में प्रचार करने में भी शामिल रहा है.

बताया यह भी जा रहा है कि टीआरएफ जम्मू-कश्मीर के लोगों को भारतीय राज्य के खिलाफ आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मनोवैज्ञानिक अभियानों में शामिल है.

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, टीआरएफ नाम पाकिस्तान ने लश्कर को दिया था क्योंकि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के धार्मिक अर्थ हैं और इस्लामाबाद ऐसा नहीं चाहता था. इसलिए, उन्होंने इसे वैश्विक राजनीति में एक नाम देने के लिए रेजिस्टेंस का विकल्प चुना.

टीआरएफ को लेकर एक दिलचस्प जानकारी यह भी सामने आई है कि इसकी रीब्रांडिंग यह सुझाव देने के लिए की गई थी कि टीआरएफ एक धार्मिक रंग वाला संगठन नहीं बल्कि एक जन आंदोलन है.

जनवरी 2023 में, गृह मंत्रालय ने आतंकी गतिविधियों के प्रचार, आतंकवादियों की भर्ती, आतंकवादियों की घुसपैठ और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत टीआरएफ को एक 'आतंकवादी संगठन' घोषित किया.

यह टीआरएफ द्वारा कश्मीर में पत्रकारों को धमकियां जारी करने के महीनों बाद हुआ। बता दें कि टीआरएफ कमांडर शेख सज्जाद गुल को टीआरएफ की चौथी अनुसूची के तहत आतंकवादी घोषित किया गया.

गृह मंत्रालय ने कहा, 'टीआरएफ की गतिविधियां भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं. जम्मू-कश्मीर के सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की हत्या की योजना बनाने, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने के लिए हथियारों का समन्वय और परिवहन करने से संबंधित टीआरएफ के सदस्यों/सहयोगियों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं...'

शेख सज्जाद का दावा है कि समूह 'स्थानीय उत्पीड़न' के खिलाफ है और उसने खुद को पाकिस्तान या हाफिज सईद के प्रभाव से दूर कर लिया है.

कौन है पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद ?

सैफुल्लाह खालिद, जिसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है, लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसके पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद से करीबी संबंध हैं. पाकिस्तान का पूरा समर्थन पाने वाला खालिद सेना के अफसरों का 'पसंदीदा साथी' है और वहां खुलेआम घूमता रहता है. वह कई जिहादी भाषण देने के लिए भी बदनाम है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालिद पाकिस्तानी सेना को भड़काने और युवाओं का ब्रेनवॉश करने का काम करता रहा है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहलगाम आतंकी हमले से दो महीने पहले खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था, जहां पाकिस्तानी सेना की एक बड़ी बटालियन तैनात है.बताया यह भी जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना के एक कर्नल जाहिद जरीन खट्टक ने उसे जिहादी भाषण देने के लिए वहां बुलाया था. वहां उसने पाकिस्तानी सेना को भारत के खिलाफ भड़काया.

इसी तरह, खैबर पख्तूनख्वा में आयोजित एक बैठक में खालिद ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए.उस भाषण में खालिद ने स्पष्ट रूप से कहा था कि, 'मैं वादा करता हूं कि आज 2 फरवरी 2025 है. हम 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्ज़ा करने की पूरी कोशिश करेंगे. आने वाले दिनों में हमारे मुजाहिद्दीन हमले तेज़ कर देंगे.'

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल एबटाबाद के जंगलों में आयोजित आतंकी शिविर में सैकड़ों पाकिस्तानी युवकों ने हिस्सा लिया था. यह शिविर लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक शाखा पीएमएमएल और एसएमएल ने आयोजित किया था.

खालिद भी इसमें शामिल था. उसने इस शिविर से आतंकी हमलों के लिए युवाओं को चुना था, जिन्हें बाद में टारगेट किलिंग के लिए प्रशिक्षित किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, युवकों को प्रशिक्षित करने के बाद उन्हें पाकिस्तानी सेना की मदद से सीमा पार कराया गया.

अब तक कुल कितने हमलों को अंजाम दे चुका है टीआरएफ?

गौरतलब है कि टीआरएफ के एक उग्रवादी समूह के रूप में होने के संकेत तब सामने आए जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सोपोर और कुपवाड़ा में ओवर द ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया। गिरफ्तार किए गए ओजीडब्ल्यू ने खुलासा किया कि वे 'नए संगठन के लिए युवाओं की भर्ती कर रहे थे'.

2020 में, टीआरएफ ने लश्कर, जैश और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पारंपरिक संगठनों के विपरीत घाटी में हमलों की जिम्मेदारी लेना शुरू कर दिया.

2022 के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में मारे गए 172 आतंकवादियों में से 108 द रेजिस्टेंस फ्रंट से जुड़े थे. एक अन्य डेटा से पता चला है कि 100 नए आतंकवादियों में से 74 को टीआरएफ ने भर्ती किया था.

आखिरी बड़ा हमला जिसमें टीआरएफ शामिल था, वह गंदेरबल आतंकी हमला था. पिछले साल उत्तरी कश्मीर के क्षेत्र में एक निर्माण स्थल पर सात लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

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Pahalgam Attack in Jammu and Kashmir What Is The Resistance Front how the Terrorist Group was formed Who Is Mastermind Saifullah Khalid Attack conducted by TRF
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Pahalgam Attack : क्या है पहलगाम हमले को अंजाम देने वाला द रेजिस्टेंस फ्रंट?
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क्या है पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट की मोडस ऑपरेंडी
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Pahalgam Attack : पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' की कुंडली, मोडस ऑपरेंडी उड़ा देगी होश!

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