निरंतरता ही सफलता की कुंजी है. चाहे आप कितने ही प्रतिभाशाली क्यों न हों नियमित प्रयास के बिना सफलता पाना मुश्किल है. ऐसी ही कहानी विग्नेश गायकोटी की भी है जिनका उनकी कोडिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग के प्रति प्यार की वजह से आईआईटी मद्रास में सिलेक्शन हुआ और फिलहाल वह यहां से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहे हैं. दृष्टिबाधित होने के बावजूद विग्नेश ने हार नहीं मानी और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन के दम पर अपनी मंजिल हासिल की.

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क्या करते हैं विग्नेश के माता-पिता

विग्नेश के पिता रवि चावल का व्यवसाय करते हैं और उनकी मां राजिता गृहिणी हैं. दोनों ने उन्हें हर कदम पर सपोर्ट किया. दृष्टिबाधित होने की वजह से पढ़ाई करना विग्नेश के लिए एक चुनौती थी लेकिन उनके पैरेंट्स ने उन्हें स्पेशल स्कूल की जगह सामान्य बच्चों वाले स्कूल में डाला. इस फैसले से उन्हें वास्तविक दुनिया के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिली. 

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JEE में मिली कितनी रैंक

उनकी JEE की तैयारी तेलंगाना के वारंगल में शुरू हुई. उन्होंने कक्षा 9 से 12 तक शाइन ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशंस में पढ़ाई की और यहां टीचर्स और बाकी फैकल्टी का मार्गदर्शन उनके लिए बहुत मददगार रहा. उन्होंने यूट्यूब पर भरोसा किया और 8 घंटे की लगातार पढ़ाई, कोचिंग और सेल्फ स्टडी के दम पर अपनी पढ़ाई जारी रखी. बाकी स्टूडेंट्स से 75 प्रतिशत कम दृष्टि वाला उम्मीदवार होने के बावजूद भी उन्होंने आईआईटी में जगह पाने का सपना देखा और साल 2022 में जेईई मेन्स और एडवांस के लिए अप्लाई किया. मेन्स में उन्हें 1274वीं और एडवांस्ड में 3120वीं हासिल हुई जबकि पीडब्ल्यूडी कैटिगरी में उन्हें तीसरी रैंक मिली.

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पढ़ने के अलावा विग्नेश को शतरंज खेलना बहुत पसंद है. उनका लक्ष्य अगले साल इंटर-आईआईटी शतरंज टूर्नामेंट में भाग लेना है. इसके अलावा उन्हें क्रिकेट कमेंट्री सुनने और पॉडकास्ट में भी बेहद दिलचस्पी है. विग्नेश गायकोटी की सफलता की कहानी हमें यह दिखाती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर आप जीवन में वह मुकाम हासिल कर सकते हैं जिसका आपने सपना देखा होता है. दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने खुद को कभी दूसरों से कमतर नहीं आंका और जेईई क्रैक करके आईआईटी मद्रास में दाखिला पाया.

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Eyesight was weak but vision was clear Vignesh Gaikoti studied for 8 hours continuously and got third rank in JEE know his success story
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आंखों की रोशनी कम लेकिन विजन था साफ, लगातार 8 घंटे पढ़ाई कर JEE में लाए तीसरी रै
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आंखों की रोशनी कम लेकिन विजन था साफ, लगातार 8 घंटे पढ़ाई कर JEE में लाए तीसरी रैंक

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