पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द कर दिया है. भारत ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, तब तक भारत इस संधि को लागू नहीं करेगा. भारत के इस फैसले को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा झटका माना जा रहा है. दरअसल पाकिस्तान के सिंध और पंजाब के इलाकों की 90 फीसदी कृषि योग्य जमीन अपनी पानी की जरूरतों के लिए सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाले पानी पर निर्भर है. ऐसे में अगर भारत चिनाब, झेलम और सिंधु जैसी नदियों का पानी रोक देता है तो पाकिस्तान में हाहाकार मच सकता है.
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पानी रोकने से न सिर्फ पाकिस्तान की खेती योग्य जमीन सूखने की कगार पर आ जाएगी बल्कि पीने के पानी और बिजली के प्रोजेक्ट को भी बड़ा झटका लगेगा. भारत के इस कदम से पाकिस्तान को आर्थिक बदहाली का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. हालांकि अब सवाल यह है कि क्या सिंधु जल संधि को रद्द करना इतना आसान है और भारत रातों-रात तीनों नदियों का पानी रोक सकता है?
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सिंधु जल संधि क्या है?
भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल प्रणाली की नदियों के पानी के इस्तेमाल को लेकर साल 1960 में एक समझौता किया था. इस समझौते के तहत भारत तीन पूर्वी नदियों सतलुज, व्यास और रावी के पानी का इस्तेमाल कर सकता है. वहीं पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों झेलम, चिनाब और सिंधु के पानी पर अधिकार दिया गया था. सिंधु जल संधि के तहत भारत ने पाकिस्तान के साथ जो समझौता किया था, उसमें उसने पूरी नदी प्रणाली का सिर्फ 20 प्रतिशत पानी ही अपने पास रखा था. भारत ने शांति के बदले पाकिस्तान को इन नदियों के 80 प्रतिशत पानी को इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी.
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क्या तीनों नदियों का पानी रातों-रात रोका जा सकता है?
सिंधु जल संधि को रद्द करने का मतलब साफ है कि भारत अब पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों यानी झेलम, चिनाब और सिंधु नदी का पानी इस्तेमाल नहीं करने देगा. लेकिन क्या यह इतना आसान है, आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं. दरअसल भारत के पास अभी इतना बुनियादी ढांचा नहीं है कि वह इस पानी को रातों-रात पाकिस्तान पहुंचने से रोक सके. अगर भारत बांध बनाकर या पानी जमा करके ऐसा करता भी है तो जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे राज्यों में भयंकर बाढ़ आ सकती है.
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भारत को पानी रोकने में कितना समय लगेगा?
मौजूदा हालात को देखें तो भारत ने तीन पश्चिमी नदियों पर चार प्रोजक्ट की योजना बनाई है. इनमें से दो चालू हो चुकी हैं और दो के लिए तैयारी चल रही है. भारत ने पाकिस्तान के हिस्से वाली चिनाब पर बगलिहार बांध और रतले प्रोजक्ट शुरू की है. चिनाब की एक दूसरी सहायक नदी मरुसुदर पर पाकल दुल प्रोजक्ट और झेलम की सहायक नदी नीलम पर किशनगंगा प्रोजक्ट शुरू की गई है. इनमें से सिर्फ बगलिहार बांध और किशनगंगा प्रोजक्ट ही चालू है. ऐसे में अगर भारत पाकिस्तान के हिस्से वाली तीनों नदियों का पानी पूरी रोकती है तो उसमें 5 से 10 साल का समय लग सकता है. क्योंकि भारत को इन तीनों नदियों से मिलने वाले लाखों क्यूसेक पानी के इस्तेमाल के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा. पाकिस्तानी नेताओं का कहना है कि भारत सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाले पानी को रातोंरात नहीं रोक सकता इसलिए उनके पास भारत के इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पर्याप्त समय है.
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Indus Water Treaty
सिंधु जल संधि रद्द होने के बाद भारत को पाकिस्तान का पानी रोकने में कितना वक्त लगेगा?