कहते हैं कि अगर आप कुछ कर गुजरने की ठान लें तो विपरीत परिस्थितियां भी आपकी मंजिल में बाधक नहीं बन सकतीं. माला पापलकर की कहानी भी कुछ ऐसी है जिन्हें जन्म होते ही कूड़ेदान में फेंक दिया गया और 10 साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की ग्रुप सी की परीक्षा में सफल हुईं.
MPSC कंबाइंड ग्रुप सी एग्जाम पास कर पाई सरकारी नौकरी
पिछले हफ़्ते MPSC ने कंबाइंड ग्रुप सी परीक्षा के फाइनल रिजल्ट जारी किए और इस लिस्ट में कई नामों में अमरावती की माला पापलकर का नाम भी शामिल था. 18 अप्रैल को उनके सिलेक्शन से जुड़े ईमेल ने यह साबित कर दिया कि दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. माला ने साल 2023 में यह परीक्षा दी थी जिसका रिजल्ट 22 महीने बाद जारी किया गया. नियुक्ति पत्र मिलने के बाद माला जल्द ही नागपुर के कलेक्टर ऑफिस में रेवेन्यू असिस्टेंट के रूप में शामिल हो जाएगी.
रेलवे स्टेशन के पास मिली थीं लावारिस
माला जब छोटी बच्ची थीं तब उन्हें जलगांव रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में पाया गया था. रिमांड होम में रखे जाने के बाद उन्हें अमरावती के पद्मश्री पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता शंकर बाबा पापलकर की देखभाल में भेज दिया गया और वज्जर में उनका आश्रम उसके सपनों की नींव बन गया. इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने सरकारी दस्तावेज़ों में यह बताया गया कि वह सामाजिक कार्यकर्ता की बेटी हैं. जब माला आश्रम में आई थीं तब उनकी उम्र 10 साल थी. आश्रम में ही पता चला कि माला दृष्टिहीन हैं और उनकी दृष्टि सिर्फ 5 प्रतिशत ही काम कर पाती है. वह शारीरिक रूप से कमजोर भी थीं.
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इस स्कूल-कॉलेज से की है पढ़ाई
उन्होंने स्वामी विवेकानंद ब्लाइंड स्कूल और अमरावती के भीवापुरकर ब्लाइंड स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. इसके बाद उन्होंने विदर्भ महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. प्रकाश टोप्ले पाटिल नाम के एक नेक इंसान ने उनकी पढ़ाई का खर्चा उठाया. माला को 10वीं में 60% और कॉलेज में 65% मार्क्स मिले थे. शंकर बाबा चाहते थे कि वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करें और अपना भविष्य खुशहाल बनाएं.
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2019 से शुरू की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी
माला ने साल 2019 में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अमोल पाटिल की यूनिक एकेडमी में दाखिला लिया लेकिन बाद के साल में कोविड महामारी की वजह से उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा. अमोल पाटिल ने बताया कि माला सीखने में बहुत तेज थीं लेकिन नेत्रहीन स्टूडेंट्स को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. मुझे उनके लिए ऑडियोबुक ढूंढनी पड़ती थी और कई बात तो मैं खुद ही पाठों को रिकॉ्र्ड करता था ताकि वह सुनकर पढ़ाई कर सकें. उन्होंने कोचिंग के लिए माला से कोई फीस भी नहीं ली. माला ने 2024 में एमपीएससी मुख्य परीक्षा पास की थी लेकिन उम्मीदवारों की स्किल टेस्ट के बाद फाइनल रिजल्ट पिछले सप्ताह घोषित किया गया. माला की सफलता की कहानी आज देश के लाखों युवाओं को प्रेरित कर रही हैं.
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Mala Papalkar
जन्म हुआ तो कूड़ेदान में फेंका, 10 की उम्र में आंखों की गई रोशनी, अब वही लड़की MPSC क्रैक कर बनी अफसर