एचसी वर्मा वह शख्स हैं जिनसे साइंस स्ट्रीम से पढ़ने वाला बच्चा-बच्चा परिचित है. उनका पूरा नाम हरीश चंद्र वर्मा है. बिहार के दरभंगा जिले से निकलकर उन्होंने साइंस की दुनिया में ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसका सपना देश का हर शिक्षक देखता है. विज्ञान में उन्हें उनके योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वह स्कूल में अच्छे छात्र नहीं थे. पढ़ाई में उनकी रुचि नहीं थी क्योंकि उन्हें अपने सभी विषयों में पास होने में कठिनाई होती थी.
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बचपन में पढ़ने में नहीं थी दिलचस्पी
उनके पिता समस्तीपुर में कक्षा पांच तक का स्कूल चलाते थे जबकि उनकी मां अनपढ़ थीं. लेकिन वह पढ़ाई का महत्व जानती थी और चाहती थीं कि उनका बेटा पढ़-लिखकर समाज में खास मुकाम हासिल करें. मां ने पढ़ाई में बेटे की दिलचस्पी जगाने के लिए 10वीं कक्षा में उन्हें एक ऐसी चुनौती दी जिसे पूरा करते-करते हरीश को फिजिक्स से प्यार हो गया.
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ठेकुआ के लालच में पढ़ाई से हुई दोस्ती
छठ पूजा के अवसर पर,उसकी मां ने बहुत सारे ठेकुआ बनाए थे और उन्होंने बेटे से शर्त रखी थी कि उन्हें अपनी किताबों और स्टेशनरी के साथ उनके कमरे में बैठना होगा. इस तरह हर घंटे उन्हें दो ठेकुआ खाने को मिलेंगे. हरीश के लिए यह फायदे का सौदा था और वह पूरा दिन कमरे में बैठकर ठेकुआ खा सकते थे. शुरुआत में तो वह बिना पढ़े कमरे में बैठे रहे लेकिन धीरे-धीरे उन्हें बोरियत होने लगी और वहां रखी हुई किताबों को पढ़ने लगे. पढ़ते हुए वह विषयों के बारे में वह बारीकी से सोचने लगे. 4-5 साल पढ़ाई में खराब साल निकलने के बाद अब उनकी किस्मत बदलने लगी. उस साल उन्होंने सभी विषयों को पास कर लिया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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आईआईटी से पीएचडी के बाद शुरू की टीचिंग
इसके बाद अगले साल पटना साइंस कॉलेज में उन्हें एडमिशन मिला. यहां से उन्होंने फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स किया और फिर एमएससी की पढ़ाई के लिए आईआईटी कानपुर में दाखिला लिया. आईआईटी से ही उन्होंने पीएचडी भी की. आज उनकी किताब कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स घर-घर में मशहूर है. एचसी वर्मा का उदाहरण यह दिखाता है कि अगर हम ठान लें तो हमारे लिए जीवन में कुछ भी हासिल करना मुश्किल नहीं है. एक ऐसा व्यक्ति जिसे शुरुआती साल में शिक्षा प्रणाली ने नकार दिया था, उसने इसे सुधारने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. फिलहाल वह आईआईटी से रिटायर हो चुके हैं लेकिन उनका सीखने और सिखाने की ललक अभी तक जारी है.
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Professor HC Verma
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