केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया है. पीएम मोदी के नेतृत्व में बुधवार को CCPA की मीटिंग हुई. जिसमें जाति जनगणना कराने के फैसले पर मुहर लगा दी गई. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है. लंबे समय से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और विपक्ष के नेता जातिगत जनगणना कराने की मांग कर रहे थे. एनडीए सरकार के इस कदम से सियासी समीकरण बदल सकते हैं.
कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अगली जनगणना में जातीय गणना को भी शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने जातीय सर्वे अपने स्तर पर किए हैं, लेकिन सामाजिक ताने-बाने को समझने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को समझना जरुरी है.
कांग्रेस पर साधा निशाना
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जणगणना (Caste Census) का हमेशा विरोध किया है. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं कराई गई. जब वे सत्ता में थे, जाति जनगणना की जगह पर जाति सर्वे कराए गए. लेकिन आज वह इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने जाति जनगणना को राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दा बनाया है, लेकिन उन्होंने इसके पीछे वास्तविक सामाजिक उद्देश्यों को कभी नहीं देखा.
राहुल गांधी लंबे समय से कर रहे थे मांग
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति जनगणना कराने की मांग लंबे समय से करते आ रहे थे. उनका कहना है कि जाति के आधार पर जनसंख्या के बारे में पता चलेगा तभी उनका सही हक मिल पाएगा. राहुल ने कहा था कि संसद में भी हमने जाति जनगणना की मांग की, लेकिन मोदी जी और आरएसएस इसे नहीं कराना चाहती.
राहुल गांधी लंबे समय से कर रहे थे मांग
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति जनगणना कराने की मांग लंबे समय से करते आ रहे थे. उनका कहना है कि किस जाति के कितने लोग हैं, यह पता चलेगा तभी उनका अच्छे से विकास हो पाएगा. राहुल ने संसद में भी इस मुद्दे को कई बार उठाया था. उन्होंने आरोप लगाय था कि मोदी जी और आरएसएस जाति जनगणना इसलिए नहीं कराना चाहती, जिससे उनको उनका हक नहीं मिल सके.
जाति जनगणना से किसे होगा फायदा?
बताते चलें कि जाति जनगणना कराने के फैसले को मोदी सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है. ऐसा लग रहा है कि बीजेपी ने राहुल गांधी के तरकस से एक और मुद्दा छीन लिया है. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है. क्योंकि बिहार में जातीय राजनीति की गहर पकड़ है. जाति के आधार पर सत्ता की कुर्सी मिल पाती है. बिहार में महागठबंधन सरकार के दौरान नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वे कराया था, जिसका उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा भी मिला था.
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Caste Census: बिहार चुनाव से पहले मोदी सरकार का बड़ा दांव, देशभर में होगी जाति जनगणना, जानें क्या हैं फायदे-नुकसान