जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को एक बार फिर गहरे संकट में डाल दिया है. इस हमले में 28 निर्दोष पर्यटक मारे गए, जिसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक आयोजित की गई. बैठक में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कई अहम निर्णय लिए गए. पाकिस्तान के उच्चायोग के कई अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश भी दे दिया गया है.
शिमला समझौते पर हो सकता है विचार
भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों में चिंता साफ दिख रही है. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की एक अहम बैठक आज हो सकती है जिसमें भारत से रिश्तों की समीक्षा होगी. इस बैठक में शिमला समझौते को रद्द करने पर भी विचार किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो यह भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बड़ा और नकारात्मक मोड़ होगा.
क्या है शिमला समझौता और इसकी भूमिका?
शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था. इसका मकसद दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखना और सभी विवादों को बातचीत से सुलझाना था. इस समझौते की सबसे अहम बात यह थी कि इसमें तय हुआ था कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश या संस्था की कोई भूमिका नहीं होगी. यानी, खासकर कश्मीर जैसे मामलों में सिर्फ दोनों देश आपसी बातचीत से ही हल निकालेंगे.
भारत के लिए क्यों है यह समझौता जरूरी?
भारत के लिए शिमला समझौता एक तरह से कूटनीतिक सुरक्षा कवच की तरह है. यह समझौता भारत को यह ताकत देता है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह कह सके कि कश्मीर या किसी भी विवाद पर कोई तीसरा पक्ष फैसला नहीं ले सकता. अगर पाकिस्तान इसे रद्द करता है, तो वह अपनी ही साख को नुकसान पहुंचाएगा. इससे भारत को यह मौका मिलेगा कि वह पाकिस्तान की नीयत और नीतियों को दुनिया के सामने बेनकाब कर सके. साथ ही, भारत के पास कश्मीर मुद्दे पर और अधिक स्पष्ट रुख अपनाने का भी रास्ता खुलेगा.
अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से जुड़ें.
- Log in to post comments

क्या है शिमला समझौता जिसे रद्द कर सकता है पाकिस्तान, भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण?