Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट को आपने अपने से निचली अदालतों को उनके फैसलों के लिए फटकार लगाते हुए कई बार देखा होगा, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट दुबई की कोर्ट के एक फैसले पर भड़क गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के फैसले की जमकर आलोचना की है. मामला वैवाहिक विवाद से जुड़ा हुआ है, जिसमें पति घाना निवासी है और पत्नी भारत की रहने वाली है. दोनों दुबई में एकसाथ रह रहे थे, लेकिन आपसी विवाद के बाद महिला अपने बच्चे को लेकर भारत चली आई. इस मामले में ही दुबई की कोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया, जिसे लेकर पति भारतीय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस फैसले को देखकर ही सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच भड़क गई. बेंच ने दुबई की कोर्ट के फैसले को दमनकारी और मानवाधिकारों का हनन बता दिया है. बेंच ने इस मामले में याचिकाकर्ता को 28 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी करने के निर्देश रजिस्ट्री को दिए हैं. पूरा मामला क्या है, चलिए हम आपको बताते हैं.
वैवाहिक विवाद में लगाया बच्चे के ट्रैवल पर बैन
दरअसल दुबई की कोर्ट ने मां-बाप के बीच वैवाहिक विवाद में उनके बच्चे के ट्रैवल पर बैन लगा दिया है. बच्चे के पिता फिलहाल संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में रह रहे हैं. उनकी याचिका पर दुबई की कोर्ट ने उनकी पत्नी पर दोनों के बच्चे को कहीं बाहर ले जाने की रोक लगा दी थी. इसके बावजूद पत्नी अपने बेटे को लेकर बेंगलुरु में अपने घर लौट आई. इसके बाद बच्चे के पिता ने पहले कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) में अपील की, लेकिन वहां अपने पक्ष में फैसला नहीं होने पर उन्होंने दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका दाखिल की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने बताया दुबई कोर्ट के फैसले को 'नजरबंदी' जैसा
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जब इस याचिका पर गुरुवार (17 अप्रैल) को सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई में बच्चे के पिता ने आरोप लगाया कि अलग रह रही उनकी पत्नी दुबई की एक कोर्ट के रोक लगाने पर भी उनके बेटे को दुबई से भारत ले आई है. दुबई कोर्ट का फैसला देखकर सुप्रीम कोर्ट के जज हैरान रह गए. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने वैवाहिक विवाद में बच्चे के ट्रैवल पर बैन लगाने को 'घर में नजरबंद' करने जैसा बताया. तथ्यों पर गौर करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट निखिल गोयल से उल्टा सवाल पूछा. उन्होंने कहा, 'आपको कोर्ट से मानवाधिकारों का पूरी तरह हनन करने वाला दमनकारी आदेश मिला है. वैवाहिक विवाद में एक कोर्ट बच्चे पर ट्रैवल बैन कैसे लगा सकती है?'
दुबई की कोर्ट कैसे दे सकती है ईसाई परिवार पर फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने पति और पत्नी, दोनों के ईसाई होने और शरीयत कानून के दायरे में नहीं आने का सवाल उठाया. बेंच ने इस आधार पर दुबई की फैमिली कोर्ट के तलाक का आदेश पारित करने के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया. हालांकि एडवोकेट गोयल ने दोनों की शादी दुबई में होने और उनके वहीं रहने के चलते दुबई कोर्ट को यह अधिकार होने की बात कही. इस पर बेंच ने बच्चे के कल्याण को सर्वोपरि बताते हुए उस एंगल से मामले पर विचार करने की बात कही. साथ ही बेंच ने कर्नाटक हाई कोर्ट के 10 दिसंबर के फैसले को भी सही ठहराया है.
(इनपुट-पीटीआई)
अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से जुड़ें.
- Log in to post comments

Dubai की कोर्ट पर भड़का भारतीय सुप्रीम कोर्ट, बता दिया वहां के फैसले को दमनकारी, जानें पूरा मामला