आईपीएल 2024 में, यूं तो कई टीमें हैं. लेकिन जो चीज़ SRH को खस बनाती है, वो है उसका बैटिंग आर्डर. मतलब आप खुद देखिये. ओपनर के रूप में ट्रैविस हेड और अभिषेक शर्मा फिर ईशान किशन, नितीश कुमार रेड्डी और हेनरिक क्लासेन. SRH एक ऐसी टीम है जिसे देखकर यक़ीनन अन्य टीमें जल भुन जाती होंगी. लेकिन फिर हमें उस बात को भी नहीं भूलना चाहिए जिसमें शायर ने बहुत पहले कहा था कि, 'हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता.' एक टीम के रूप में SRH का भी मामला भी ऐसा ही है. सब कुछ अच्छा होने के बावजूद टीम ग्राउंड पर परफॉर्म करने में नाकाम है, जिस कारण टीम लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही है.
SRH ने आईपीएल इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा पावरप्ले स्कोर और टूर्नामेंट में अब तक का सबसे बड़ा स्कोर बनाया. SRH ने अपने पहले गेम में 286 रन बनाए, जिसमें किशन ने शानदार शतक लगाया. SRH ने जैसे खेला फैंस को भी विश्वास हो गया कि अगर कोई टीम इस सीजन में 300 का आंकड़ा पार करेगी तो वो SRH होगी.
हालांकि, इसके बाद जो हुआ, वह कुछ ऐसा है जिसकी ऑरेंज आर्मी के प्रशंसकों ने कल्पना भी नहीं की होगी. SRH 9वें स्थान पर है, और सिर्फ रन-रेट ही वो कारण है जिसने इतनी ख़राब परफॉरमेंस के बावजूद SRH को अंतिम पायदान पर नहीं भेजा है. वर्तमान में अभिषेक की PBKS के खिलाफ 141 रनों की पारी को छोड़ दें तो चाहे वो हेड और किशन हों या फिर रेड्डी SRH का कोई भी खिलाड़ी मैदान पर करिश्मा दिखाने में नाकाम रहा है. फैंस को हेनरिक क्लासेन से थोड़ी बहुत उम्मीद है. लेकिन क्योंकि उनका क्रम बहुत नीचे है, वो कुछ बड़ा करें थोड़ा मुश्किल है.
SRH के सामने वर्तमान में क्या हैं चुनौतियां ?
मौजूदा सीजन में SRH के साथ क्या समस्या रही है? इस सवाल का जवाब MI से मिली हार के बाद मार्क बाउचर ने दिया है. MI से SRH की हार के बाद मार्क बाउचर ने कहा कि हैदराबाद की परिस्थितियों ने उनकी मदद नहीं की है क्योंकि यह उनके क्रिकेट के ब्रांड के अनुकूल नहीं है. बाउचर को लगता है कि सलामी बल्लेबाज आक्रमण करने के इरादे से मैदान पर उतरते हैं और परिस्थितियों के अनुकूल ढलने के बारे में नहीं सोचते.
SRH और उसकी विफलताओं पर अपना पक्ष रखते हुए बाउचर ने कहा है कि, पिछले सीजन में, उन्होंने जिस चीज को छुआ, वह सोने में बदल गई. इस सीजन में मुझे नहीं लगता कि उनके पास हमेशा ऐसी परिस्थितियां रही हैं जो उनके अनुकूल रही हैं, ताकि वे अपनी पसंद का क्रिकेट खेल सकें.
उन्होंने यह भी कहा कि, आपने देखा है कि प्रतियोगिता में अब तक के सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज वे रहे हैं जो अलग-अलग परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढालने में सक्षम रहे हैं. और मुझे नहीं लगता कि ये लोग वास्तव में यह सोचकर मैदान पर उतरे हैं कि वे परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढालना चाहते हैं. वे मैदान पर जाकर एक ही तरह से खेलना चाहते हैं, जो कि क्रिकेट का आक्रामक ब्रांड है, लेकिन यह उनके लिए कारगर साबित नहीं हुआ है. '
तो क्या यह तरीका गलत है?
कई लोगों को लग सकता है कि SRH का तरीका गलत है और उन्हें इसे बदलने की जरूरत है. लेकिन जो चीज उनके लिए अच्छी साबित हुई है, उससे दूर क्यों जाएं? यही विचार अनिल कुंबले का भी था, क्योंकि उन्होंने कहा कि असली मुद्दा अहम वक़्त पर मिडिल आर्डर का नाकाम रहना है.
कुंबले का मानना है कि खिलाड़ियों को यह समझने की जरूरत है कि यह सिर्फ मैदान के बाहर सब कुछ मारने या शून्य पर आउट होने और बीच में कुछ न होने के बारे में नहीं होना चाहिए.
टूर्नामेंट में बने रहने के लिए आगे क्या करे SRH?
इस सवाल का जवाब अनिल कुंबले ने अपने खास अंदाज में दिया है. कुंबले के अनुसार, एसआरएच के लिए, अब उन्हें आगे बढ़ने के लिए अपने सभी मैच जीतने की जरूरत है. यह इतना ही सरल है. हालांकि, उन्हें अपने सामने आने वाली पिचों का आकलन करने में होशियार होने की जरूरत होगी. टीमों ने हैदराबाद और उनके खतरनाक बल्लेबाजों को परेशान करने का मंत्र निकाल लिया है.
पूर्व भारतीय कोच को लगता है कि एसआरएच अपने तरीके से जिद्दी है और अपने दर्शन में बदलाव नहीं कर रहा है. यदि टीम के ओपनर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं या वो किसी किस्म के दबाव में हैं तो उनकी पोजीशन में बदलाव किया जाना चाहिए.
कुंबले ने कहा है कि, 'जब ऐसा होता है, तो आपको वे बदलाव करने की ज़रूरत होती है और SRH ने वे बदलाव नहीं किए हैं. वे जिद्दी रहे हैं और सोचते हैं कि ठीक है, हम इसी तरह से आगे बढ़ेंगे. चलो इसे जारी रखते हैं और शायद अब बहुत देर हो चुकी है क्योंकि उन्हें प्लेऑफ़ में जगह बनाने या कम से कम प्लेऑफ़ में जगह बनाने की उम्मीद करने के लिए 6 में से 6 की ज़रूरत है.'
पैट कमिंस ने संकेत दिया कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए सिस्टम में थोड़ा बदलाव करने की ज़रूरत हो सकती है और SRH के लिए यही ज़रूरी हो सकता है. इसका मतलब यह नहीं है कि आपको उनके इरादों पर पूरी तरह से लगाम लगाने की ज़रूरत है. कुछ खेलों में, आपको ज़्यादा होशियार होने की ज़रूरत होती है और SRH के पास ऐसे खिलाड़ी हैं जो पिछले कई सालों से ऐसी परिस्थितियों से गुज़रे हैं.
बहरहाल एक टीम के रूप में SRH अप्न्मे स्ट्रक्चर में बदलाव करती है या फिर ऐसे ही जिद्दी बने रहती है? सवाल तमाम हैं जिनका जवाब वक़्त देगा लेकिन जो वर्तमान है और उसमें ऐसा टीम के हाल है कह सकते हैं कि मुकाबले में बने रहने के लिए टीम के सामने सिर्फ और सिर्फ करो या मरो वाली स्थिति है.
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