डीएनए हिंदी: देश के किसानों को मौसम और अन्य आपदाओं के चलते काफी नुकसान होता है. इसी नुकसान की भरपाई के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत की है. कृषि मंत्रालय ने बताया है कि हर साल इस योजना के तहत पांच करोड़ किसान आवेदन कर रहे हैं. 2016 में योजना शुरू होने के बाद से अभी तक किसानों ने प्रीमियम के रूप में 25,186 करोड़ रुपये जमा किए हैं. इसके एवज में किसानों को 31 अक्टूबर 2022 तक किसानों 1,25,662 करोड़ रुपये मिले हैं.
कृषि मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. कृषि मंत्रालय ने कहा है कि पिछले 6 सालों में किसानों के बीच PMFBY की स्वीकार्यता बढ़ी है. 2016 में यह योजना शुरू होने के बाद से गैर-कर्जदार किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की हिस्सेदारी में 282 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
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'प्रीमियम से 5 गुना ज्यादा पैसे लौटाए'
आंकड़ों की मानें तो पिछले 6 सालों में किसानों ने प्रीमियम के रूप में 25,186 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. 31 अक्टूबर, 2022 तक किसानों को उनके दावों के मुकाबले 1,25,662 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इन पैसों का ज्यादातर हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि एक तथ्यात्मक रूप से गलत समाचार रिपोर्ट (जैसा कि जांच किए गए मामले में देखा गया है) मीडिया के कुछ वर्गो में प्रकाशित की गई थी, जिसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र के कुछ जिलों में किसानों को बीमा दावों की मामूली राशि का भुगतान किया जा रहा है.
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कृषि मंत्रालय के अनुसार, छोटे किसानों सहित किसानों को खरीफ के लिए अधिकतम 2 प्रतिशत, रबी खाद्य और तिलहनी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और कॉमर्शियल/बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता है. इन सीमाओं से ज़्यादा प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 50:50 के आधार पर शेयर किया जाता है. हालांकि, उत्तर पूर्वी क्षेत्र में साल 2020 से यह अनुपात 90:10 का है.
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