22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जिसका अंदेशा था वही हुआ. रिपोर्ट्स की मानें तो 90% से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो इस सीजन घूमने के उद्देश्य से कश्मीर जा रहे थे. लेकिन हमले के बाद जिन्हें अपनी ट्रैवल बुकिंग कैंसिल कराने के लिए मजबूर होना पड़ा. मौजूदा वक़्त में जैसे हालात हैं पर्यटक जितना जल्दी हो सके घाटी छोड़ देना चाहते हैं. चाहे वो श्रीनगर एयरपोर्ट हो या फिर कश्मीर के अन्य लोकप्रिय डेस्टिनेशन लोगों की भारी भीड़ दिख रही है जो किसी भी सूरत में बस अपने घर जाने को आतुर हैं.
जिस तरह पर्यटक घाटी छोड़ रहे हैं, कश्मीर के स्थानीय लोगों के सामने नौबत काटो तो खून नहीं सरीखी है. उन्हें रोजगार जाने का डर है. चूंकि कश्मीर का शुमार देश के उन चुनिंदा राज्यों में है जहां जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है इसलिए इतना तो तय है कि पहलगाम हमले की बड़ी कीमत कश्मीर और आम कश्मीरी आवाम को चुकानी होगी.
ध्यान रहे यह सब उस वक़्त में हुआ है जब तमाम तरह की जटिलताओं का सामना कर चुके कश्मीर में 370 को हटाया गया. बड़ी ही मुश्किल से हालात सामान्य हुए थे और जनजीवन पटरी पर आया था. मगर अब जबकि हमला हो चुका है और पर्यटकों ने कश्मीर छोड़ने का फैसला कर ही लिया है कश्मीरियों को अपने भविष्य की चिंता सताने लग गई है.
रिपोर्ट्स की मानें तो कश्मीर के 20000 के आस पास होटलों से 90 प्रतिशत पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द करा दी है. पहलगाम होटल्स एंड ओनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट जावेद बुर्जा ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, 'हमें अब कैंसिलेशन के लिए लगातार कॉल आ रहे हैं. हम इन्हें कुछ दिनों का इंतजार करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिर भी लोग तुरंत कैंसिलेशन कराने पर जोर दे रहे हैं.'
बात आगे बढ़े उससे पहले यह बता देना भी बहुत जरूरी हो जाता है कि टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऐसे हमलों से 2025 में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आएगी.
जैसा कि हम बार-बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है. इसलिए, होटल, भोजनालय, टैक्सी सर्विसेज, हेंडीक्राफ्ट और पोनी ऑपरेटर्स सहित लोकल बिजनेसेज पर इसका असर होगा.
ध्यान रहे कि 2023-24 में जम्मू-कश्मीर के ₹2.30 लाख करोड़ के GDP में टूरिज्म का योगदान ₹16,100-18,400 करोड़ था. इसमें अकेले होटल बिजनेस 6,900-9,200 करोड़ रुपए का है. कहा जा रहा है कि पहलगाम हमले के बाद बिजनेस में करीब 30-50% की कमी आ सकती है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 2014 के बाद से कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र को लेकर कई रणनीतिक कदम उठाए और कई महत्वपूर्ण काम किये. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाना, मोदी सरकार की कश्मीर नीति का सबसे निर्णायक मोड़ रहा. सरकार का दावा था कि इससे निवेश बढ़ेगा, पर्यटन पनपेगा और आतंकवाद घटेगा. इसके बाद पर्यटन पर इन प्रभावों को देखा गया.
2022 में कश्मीर ने 1.88 करोड़ पर्यटकों का रिकॉर्ड बनाया, जो 75 वर्षों में सबसे अधिक था.
कई निजी होटल चेन (ताज, आईटीसी, लेमन ट्री) ने श्रीनगर और पहलगाम में निवेश किया.
हाउसबोट, शिल्प, और ट्रैकिंग इंडस्ट्री में स्थानीय भागीदारी तेजी से बढ़ी.
बहरहाल इस हमले का दूरगामी प्रभाव ये है कि इस हमले के बाद निवेशक और टूर ऑपरेटर्स घाटी से दूरी बना सकते हैं. पर्यटकों के मन में डर बैठ सकता है, जिससे आवक में गिरावट आएगी. विदेशी पर्यटकों की संख्या, जो G-20 के बाद बढ़ने लगी थी, अब फिर से घट सकती है.
भले ही आतंकी दो दर्शन से ऊपर लोगों को मौत के घाट उतार अपने मंसूबों में कामयाब हो गए हों लेकिन एक बात तो तय है कि उन्होंने आम कश्मीरी आवाम के पेट पर लात मार दी है और उसे कहीं का नहीं छोड़ा है.
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हजारों पर्यटकों ने छोड़ा कश्मीर... टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए कितना बड़ा झटका है Pahalgam Attack?