यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने असिस्टेंट प्रोफेसर और वाइस चांसलर की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव का कुछ प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव के तहत उद्योग जगत के विशेषज्ञों के साथ-साथ लोक प्रशासन, लोक नीति और प्राइवेट सेक्टर के उपक्रमों के वरिष्ठ पेशेवर भी कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे.
नए दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयों में फैकल्टी मेंबर्स की नियुक्ति के मानदंडों में भी संशोधन करेंगे, जिनके तहत कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग ( M.E.) और मास्टर्स ऑफ टेक्नोलॉजी’ (M.Tech) में पोस्टग्रुजेएट डिग्री रखने वाले लोगों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण किए बिना सहायक प्रोफेसर स्तर पर सीधे भर्ती किए जा सकने की अनुमति मिल जाएगी.
UGC के मसौदा मानदंड उम्मीदवारों को उनकी उच्चतम शैक्षणिक विशेषज्ञता के आधार पर पढ़ाने की अनुमति भी देंगे. उदाहरण के लिए रसायन विज्ञान में PhD, गणित में ग्रेजुएशन और फिजिक्स में स्नातकोतर डिग्री वाला उम्मीदवार अब रसायन विज्ञान पढ़ाने के लिए योग्य होगा. इसी तरह व्यक्ति अपने पूर्व के शैक्षणिक विषयों से अलग किसी विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा पास करते हैं, वे उस विषय को पढ़ा सकेंगे जिसमें उन्होंने नेट के लिए अर्हता प्राप्त की थी.
यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार के अनुसार, यूजीसी (विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय) विनियम, 2025, 2018 के दिशानिर्देशों का स्थान लेंगे.
इससे पहले कुलपति पद के लिए उम्मीदवारों का ऐसा प्रतिष्ठित शिक्षाविद होना आवश्यक था. जिनके पास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में या प्रमुख अनुसंधान या शैक्षणिक प्रशासनिक भूमिका में कम से कम 10 साल का अनुभव हो.
(With PTI inputs)
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UGC ने असिस्टेंट प्रोफेसर और वाइस चांसलर की भर्ती में बदलाव का रखा प्रस्ताव