छत्तीसगढ़ में मार्च 2026 तक नक्सलियों को खत्म करने की केंद्र की समय सीमा सुरक्षकर्मियों को लिए कठिन चुनौती बन गया है. साल 2025 की पहली तिमाही में IED धमाकों में घायल होने वाले जवानों की संख्या 300 प्रतिशत बढ़ गई है. बीते तीन महीने में नक्सलियों ने 23 से ज्यादा हमले किए हैं. नक्सली अपना अस्तित्व के लिए जगह-जगह आईईडी विस्फोटक लगाकर रख रहे हैं. ऐसे में सेना रणनीति अपनाते हुए कच्ची सड़कें और पगडंडियों का रास्ता अपना रही है, जिससे IED ब्लास्ट से बचा जा सके.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में आईईडी के 23 हमले हुए, जिनमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और छत्तीसगढ़ पुलिस सहित अन्य बलों के 23 कर्मी घायल हुए. इस दौरान 500 किलोग्राम से अधिक वजन वाले 201 से ज्यादा बम बरामद किए गए. पिछले साल से यह आकंड़ा कहीं ज्यादा है. पिछले साल 9 IED हमले हुए थे, जिनमें 6 जवान घायल और 85 बरामद किए गए थे.
पिछले साल के मुकाबले हमले तेज हुए
आंकड़ों के अनुसार, बीते तीन महीनों में नक्सली हमलों में लगभग 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि जवानों के घायल होने की संख्या में चार गुना बढ़ी है. वर्ष 2024 में आईईडी हमलों के 43 मामले सामने आए थे, जिनमें 292 आईईडी बरामद किए गए और 33 कर्मी घायल हुए, जिनमें सीआरपीएफ के 8 जवान शामिल थे. सीआरपीएफ, वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित राज्यों में माओवादी विरोधी अभियान में मुख्य भूमिका निभा रहा है.
बस्तर क्षेत्र में तैनात एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि सुरक्षाबलों को अभियान के दौरान वाहनों के बजाय पैदल चलने के पुराने तरीके का पालन करने और पक्के रास्ते से बचने को कहा गया है. 23 मार्च को नक्सलियों ने एसटीएफ के वाहन को निशाना बनाया था. जिसमें दो जवान घायल हुए थे.यह घटना उस वक्त हुई जब 18 वाहनों का काफिला सड़कों को सुरक्षित बनाने वाली ‘रोड ओपनिंग पार्टी’ (आरओपी) के जवानों की मदद से बेस पर लौट रहा था.
IED विस्फोटक को खोजने की नहीं सटीक तकनीक!
अधिकारी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि IED सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इसको डिटेक्ट करने का हमारे पास कोई सटीक तकनीक नहीं है. आईईडी हमलों के अधिकतर मामलों में गश्त पर तैनात जवान या कोई व्यक्ति गलती से उपकरण पर पैर रख देता है और इसमें विस्फोट हो जाता है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ और कोबरा की लगभग 25-27 इकाइयों को पर्याप्त संख्या में आईईडी का पता लगाने वाले उपकरण और खोजी कुत्ते आवंटित किए गए हैं.
अधिकारियों ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आईईडी विस्फोटों और बरामदगी में तेज वृद्धि देखी जा रही है, क्योंकि कई सुरक्षा बल मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने की केंद्र सरकार की समय सीमा को पूरा करने के लिए प्रमुख नक्सल क्षेत्रों में जा रहे हैं.
(With PTI inputs)
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Army operation against Naxalites
छत्तीसगढ़ में 3 महीने में 23 IED धमाके, नक्सलियों के खात्मे के लिए पगडंडियों पर निकली सेना