डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अनुच्छेद 370 से जुड़ा महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को एकदम सही करार दिया है. कोर्ट ने चुनाव जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देते हुए चुनाव आयोग को अगले साल सितंबर तक चुनाव कराने का निर्देश दिया है. आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 5 सितंबर को पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट में 16 दिनों तक मैराथन सुनवाई हुई थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट से आने वाले महत्वपूर्ण फैसले को देखते हुए जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.ट
आर्टिकल 370 पर संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के पक्ष में फैसला दिया है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि केंद्र सरकार को यह प्रावधान खत्म करने का अधिकार है और सरकार का फैसला एकदम सही है. सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा बरकरार रखने का निर्देश दिया है. दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयोग से जल्द से जल्द राज्य में चुनाव कराने का निर्देश दिया है, ताकि फिर से राज्य का दर्जा मिल सके.
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चीफ जस्टिस ने बताया, आर्टिकल 370 का प्रावधान अस्थायी था.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि यह प्रावधान अस्थायी था. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 में साफ कहा गया था कि यह अस्थायी था और ट्रांजिशन के लिए था. चीफ जस्टिस ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान चलेगा. जब प्रदेश का केंद्र में विलय किया था तभी साफ हो गया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है.
राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक-एक टिप्पणी के जरिए संवैधानिक पीठ अपनी राय रख रही है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 की शक्तियों के 3 के तहत राष्ट्रपति का फैसला सही था. यह राष्ट्रपति की शक्तियों में अंतर्निहित है और इस पर सवाल उठाना ठीक नहीं है. चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार का फैसला एकदम सही है.
5 जजों की बेंच ने सुनाया अपना फैसला
तीन जज जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस गवई और चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने साथ में जजमेंट लिखा है. बाकी दो जजों ने अलग-अलग फैसला लिखा है. 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने एकमत से फैसला दिया है. फैसले में कोर्ट ने कहा कि प्रेसिडेंशियल प्रोक्लेमेशन वैध था या नहीं इस पर हम विचार ही नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसे किसी ने चुनौती नहीं दी थी. फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने जब भारत में शामिल हुआ तो उसकी संप्रभुता नहीं रह जाती है.
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फैसले पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
फैसला आने से पहले ही मामले की पैरवी करने वाले वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया था कि कुछ लड़ाइयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं. कोर्ट में फैसला सुनने के लिए प्रदेश के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला भी मौजूद थे. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहले ही कहा था कि सुप्रीम कोर्ट से जो भी फैसला आएगा, हम उसका पूरा सम्मान करेंगे.
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