महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के टेंभली गांव में रंजना सोनावणे के घर की दीवार पर एक फोटो लगी है. दरअसल, ये फोटो तब की है जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सबको आधार कार्ड दिए थे. यह फोटो 29 सितंबर 2010 को खींची गई थी. इस फोटे में रंजना भी हैं. सरकार ने इसे भारत में कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का एक बड़ा बदलाव बताया था. लेकिन रंजना के लिए, जो इस कार्ड की पहली लाभार्थी थीं, यह सिर्फ 15 मिनट की प्रसिद्धि लेकर आया. रंजना को सरकारी योजना द्वार मिलने वाले 1,500 रुपये नहीं मिलते. आएए जानते हैं आखिर ऐसा क्यों.
नहीं मिल रहा लाडली बहना का लाभ
महाराष्ट्र में 21-65 साल की उम्र की 2 करोड़ से ज्यादा महिलाएं मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहन योजना के तहत हर महीने मिलने वाली राशि के लिए योग्य हैं. यह योजना महायुति सरकार के कल्याणकारी एजेंडे का मुख्य हिस्सा है. पैसा सीधे लाभार्थियों के आधार से जुड़े बैंक खातों में जमा किया जाता है. रंजना का आधार कार्ड एक बैंक खाते से जुड़ा हुआ है. लेकिन यह उनका खाता नहीं है. इसलिए, वह उस पैसे तक नहीं पहुंच पा रही हैं जो सरकारी अधिकारियों के अनुसार उस खाते में जमा किया जा रहा है.
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रंजना बताती हैं कि यह किसी और के खाते से जुड़ा हुआ है, जो एक प्राइवेट बैंक में है. जब मैं चेक करने जाती हूं, तो अधिकारी मुझे कागजात दिखाते हैं कि मेरा पैसा भेजा गया है, लेकिन मुझे कभी नहीं मिलता. अब 54 साल की हो चुकीं रंजना को 15 साल पहले अपने गांव में हुआ वो बड़ा कार्यक्रम याद है. वह करती हैं कि उस मौके पर मैं बहुत खुश थी. मुझे लगा कि मेरी जिंदगी बदल जाएगी और सरकारी योजनाएं आखिरकार मुझ तक पहुंचेंगी.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
होगी जांच
महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि लाभार्थी को शिकायत दर्ज करानी होगी ताकि वे ट्रांसफर रोक सकें. जब तक लाभार्थी शिकायत नहीं करता, हम भुगतान नहीं रोक सकते. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह समस्या उनके बैंक खातों से जुड़ी हो सकती है. अधिकरियों ने इस मामले में जांच करने की बात कही है.
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आधार कार्ड पाने वाली पहली भारतीय महिला है लाडली बहना योजना के लाभ से वंचित, किसी और खाते में जा रहे 1500