EBC voters Bihar elections: कांग्रेस नेता राहुल गांधी तीन महीने में तीसरी बार सोमवार को बिहार का दौरा करेंगे. पार्टी इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), दलित और मुस्लिम वोटों को एकजुट करने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रही है.

लोकसभा में विपक्ष के नेता बेगूसराय में एनएसयूआई के अखिल भारतीय प्रभारी कन्हैया कुमार के नेतृत्व में यात्रा में भाग लेंगे, जिसके बाद पटना में 'संविधान बचाओ' बैठक होगी. गांधी की यात्रा को युवा नेताओं की तिकड़ी - कन्हैया, एआईसीसी बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरु और नए बिहार कांग्रेस प्रमुख राजेश राम के इर्द-गिर्द पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए प्रेरित करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है.

कन्हैया को खास तौर पर तब बड़ी बढ़त मिल सकती है जब गांधी उनके गृहनगर में उनकी यात्रा में शामिल होंगे. उनके नेतृत्व के लिए पार्टी का जोर यह दर्शाता है कि वह अपने प्रमुख गठबंधन सहयोगी आरजेडी की छाया से बाहर आने की कोशिश कर रही है. बिहार में कांग्रेस के तीन सांसद और 19 विधायक हैं.

बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग का आंकड़ा क्या?

बिहार सरकार के जातिगत जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में सबसे बड़ी आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की सामने आई है. बिहार की कुल 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 की आबादी में से 36.01 प्रतिशत ईबीसी हैं. अत्यंत पिछड़ा वर्ग में कुल 130 जातियां और उपजातियां हैं, जिसमें मछुआरे, नाई, लोहार, तेली और नोनिया आदि शामिल हैं. 

ईबीसी को साधने की कोशिश में कांग्रेस

कांग्रेस संविधान बचाओ बैठकों के माध्यम से ईबीसी, दलितों और मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन मुख्य ध्यान ईबीसी पर ही है. बिहार की आबादी का 36.1 प्रतिशत हिस्सा ईबीसी है, जो राज्य का सबसे बड़ा सामाजिक समूह है. कांग्रेस ने संविधान बचाओ बैठकों में इस समूह के दलित नायकों को याद करने का फैसला किया है. 

बता दें, बिहार में लालू यादव ने अपने पहले कार्यकाल में बहुत सावधानी से अति पिछड़े वर्ग को लुभाया था. उन्हें पचफोरना (पांच मसालों का मिश्रण) कहा था. इस पर तर्क यह दिया था कि पचफोरना किसी भी व्यंजन का स्वाद बढ़ा देता है, वैसे ही ईबीसी का मिश्रण किसी भी गठबंधन को मजबूत बना देता है. 


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बिहार की राजनीति पर गहरी समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र कहते हैं कि बिहार में कांग्रेस की राह कठिन हो सकती है. बिहार के दो बड़े नेता लालू और नीतीश दोनों ही ओबीसी हैं. वहीं, कांग्रेस कन्हैया कुमार के सहारे सत्ता में आने का ख्वाब देख रहे हैं. कन्हैया कुमार भूमिहार हैं. ऐसे में वो कितना कमाल दिखा पाएंगे मालूम नहीं. कांग्रेस पप्पू यादव को भी साध सकती है. जिससे खेल बदल सकता है.  वहीं, उन्होंने कहा, राहुल की कोशिशों का शायद इस चुनाव में कांग्रेस को खास फायदा नहीं होगा, लेकिन आने वाले समय में बड़ा फैक्टर बन सकता है. इसी ईबीसी वोट बैंक के बूते नीतीश सालों से सीएम बने हुए हैं. इसके सहारे कांग्रेस सवर्ण और मुसलमानों का अपना परंपरागत वोट बैंक भी हासिल कर सकती है.

 

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Rahul Gandhi on Bihar tour for the third time in three months will the extremely backward class become the savior for Congress in this election
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तीन महीने में तीसरी बार बिहार दौरे पर राहुल गांधी
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तीन महीने में तीसरी बार बिहार दौरे पर राहुल गांधी, क्या इस चुनाव में अत्यंत पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के लिए बनेगा तारणहार?

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