भारत और पाकिस्तान के बीच इस समय तनाव चरम पर है. पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाया Pak सीमा पर लगातार गोलीबारी और ड्रोन से हमला कर रहा है. भारतीय सेना भी उसको मुंहतोड़ जवाब दे रही है. पाकिस्तान की इस नापाक हरकतों को जवाब देने के लिए आम जनता सेना का हौसला अफजाई कर रही है.
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भारत और पाकिस्तान के बीच इस समय तनाव चरम पर है. पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाया Pak सीमा पर लगातार गोलीबारी और ड्रोन से हमला कर रहा है. भारतीय सेना भी उसको मुंहतोड़ जवाब दे रही है. पाकिस्तान की इस नापाक हरकतों को जवाब देने के लिए आम जनता सेना का हौसला अफजाई कर रही है.
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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के दो ग्राम प्रधानों ने भारतीय सेना के कोष में 98,000 रुपये का दान किया है. यह पैसा डिमांड ड्राफ्ट के जरिए भेजा गया है. ग्राम प्रधान सतीश तिवारी और चंद्रभूषण सिंह सेना के जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि उन्हें हमारी सेना पर गर्व है.
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यूपी के ग्राम प्रधानों की इस पहल से 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध का वो किस्सा याद आ जाएगा. उस दौरान भारत भयंकर आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. तब एक अमीर शख्स ने आगे बढ़कर ऐसा काम किया, जिसने सबको चौंका दिया था. दरअसल हम बात रहे हैं हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) की. जिन्होंने भारतीय सेना कोष में 5000 किलो सोना (5000 kg gold donation) दान दिया था.
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मीर उस्मान अली खान हैदराबाद के अंतिम निजाम थे. वह महबूब अली खान दूसरे पुत्र थे. मीर उस्मान साल 1911 से 1948 तक हैदराबाद रियासत के निजाम रहे थे. उस दौरान निजाम मीर उस्मान दुनिया के रईस लोगों में से एक थे. उनके पास टनों में सोना, बेशकीमती हीरे जवाहरात थे.
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निजाम मीर उस्मान अली खान हैदराबाद को एक स्वतंत्र रियासत बनाना चाहते थे. 1947 में आजादी के बाद भारत सरकार ने उनसे कई बार भारत में विलय की बात कही लेकिन वह नहीं माने और अलग रिसायत के लिए अड़े रहे. आखिर में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के दवाब के बाद हैदराबाद रियासत को भारत में शामिल कर लिया गया.
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इसके बाद जब 1965 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ, जीत तो हिंदुस्तान को मिल गई लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह डगमगा गई. इसके बाद निजाम मीर उस्मान आगे आए और उन्होंने 5000 किलो सोना नेशनल डिफेंस गोल्ड स्कीम में निवेश और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने राहत कोष में जमा किया. हालांकि, कुछ रिपोर्ट में यह सोना 425 किलो बताया जाता है.
Short Title
भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान किसने सेना को दिया था 5000 किलो सोना