Hindi Language Row: एकतरफ हिंदी भाषा को जबरन थोपने का दावा करते हुए तमिलनाडु की एमके स्टालिन (MK Stalin) सरकार केंद्र की त्रिभाषा नीति का विरोध कर रही है. दूसरी तरफ महाराष्ट्र में राज्य सरकार ने हिंदी को मराठी व इंग्लिश मीडियम स्कूलों के प्राइमरी सेक्शन में तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है. राज्य की भाजपा सरकार के इस कदम पर विपक्षी दल कांग्रेस और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने आपत्ति जताई है. हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए अपने फैसले को केंद्र सरकार की भाषा नीति के अनुरूप बताया है. बता दें कि महाराष्ट्र में यह फैसला उन घटनाओं के बीच आया है, जब मराठी के बजाय हिंदी या अंग्रेजी बोलने पर बैंकों में, निजी कंपनियों के पब्लिक डीलिंग वाले ऑफिसों में लोगों ने हंगामा किया है. कई जगह एमएनएस कार्यकर्ताओं ने भी इसे लेकर हंगामा और तोड़फोड़ की है. अब विपक्षी दलों के राज्य सरकार के फैसले का विरोध शुरू करने के बाद यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या महाराष्ट्र में भी तमिलनाडु जैसा भाषा युद्ध देखने को मिलने जा रहा है.
राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर दे दी चेतावनी
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले को लेकर राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट लिखा है. इस पोस्ट में उन्होंने राज्य सरकार के फैसले के साथ ही केंद्र सरकार की त्रिभाषा नीति की भी आलोचना की है. 'मराठी फर्स्ट' नीति को लागू करने की मांग कर रही एमएनएस के मुखिया राज ठाकरे ने कहा,'आपको जो भी त्रिभाषा फॉर्मूला है, उसे सरकारी कामकाज तक रखिए, शिक्षा में मत लाइए. (हम) केंद्र सरकार के सबकुछ 'हिंदी-फाई' करने के मौजूदा प्रयासों को (महाराष्ट्र) राज्य में सफल नहीं होने देंगे. हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं. यदि आप महाराष्ट्र को हिंदी के रंग में रंगने की कोशिश करेंगे तो महाराष्ट्र में संघर्ष होना तय है. अगर आप यह सब देखेंगे तो आपको लगेगा कि सरकार जानबूझकर यह संघर्ष पैदा कर रही है. क्या यह सब आगामी चुनावों में मराठी और गैर-मराठी के बीच टकराव पैदा करने और उसका फायदा उठाने की कोशिश है?' राज ठाकरे इससे पहले भी दक्षिण भारतीय राज्यों के हिंदी विरोध का उदाहरण देते हुए महाराष्ट्र से उनके नक्शे कदम पर चलने की अपील कर चुके हैं.
कांग्रेस ने भी कही है ये बात
कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वाडेट्टिवर ने भी राज्य सरकार से यह नोटिफिकेशन तत्काल वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा,'महाराष्ट्र की मातृभाषा हिंदी है, लेकिन मराठी और अंग्रेजी का उपयोग शिक्षा और प्रशासन में होता है. ऐसे हालात में जबरन हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर थोपना अन्याय है और मराठी भाषी लोगों की पहचान पर आघात है.'
सीएम फडणवीस ने कही फैसले को लेकर यह बात
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी सरकार के फैसले का बचाव किया है और केंद्र की भाषा नीति की तारीफ की है. उन्होंने कहा,'यदि कोई अंग्रेजी सीखना चाहता है तो वह अंग्रेजी सीख सकता है. यदि कोई अन्य कोई भाषा सीखना चाहता है तो किसी पर भी अन्य भाषा सीखने को लेकर प्रतिबंध नहीं है. हर किसी को मराठी आनी चाहिए. साथ ही देश की अन्य भाषा की भी जानकारी होनी चाहिए. केंद्र सरकार इस बारे में सोच रही है. केंद्र सरकार का सोचना है कि हमारे देश में आपसी बातचीत के लिए एक भाषा होनी चाहिए. इसके लिए ही प्रयास चल रहे हैं.' राज्य के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी कहा,'मराठी हमारी प्राथमिक भाषा है, लेकिन हिंदी का भी राष्ट्रभाषा की तरह सम्मान होना चाहिए. महाराष्ट्र में हम मराठी स्वाभाविक रूप से बोलते हैं, लेकिन हिंदी भी शिक्षा का हिस्सा होनी चाहिए.'
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महाराष्ट्र में हिंदी पढ़ना अनिवार्य, भड़का विपक्ष, क्या यहां भी छिड़ेगा तमिलनाडु जैसा भाषा युद्ध?