डीएनए हिंदी: भगवान श्री कृष्ण लीलाओं को द्वापर से लेकर कलयुग तक में गुणगाण किया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु जी का अवतार माना जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने द्वापर युग में दुष्ट कंस का वध करने से लेकर महाभारत में मुख्य भूमिका निभाने के लिए श्रीकृष्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया. द्वापर के बाद कलयुग आया है. ऐसे में भगवान की सारी रचना और लीलाओं का वर्णन किया गया है. कलयुग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है. उन्हीं का बाल स्वरूप है लड्डू गोपाल जी, जिसकी ज्यादातर घरों पूजा अर्चना की जाती है. उन्हें भोग लगाने से लेकर आरती और चालीसा का पाठ किया जाता है. माना जाता है कि इससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं. वे अपने भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं.
बच्चे की तरह होती है लड्डू गोपाल की सेवा और पूजा
हिंदू घरों लड्डू गाोपाल जी की पूजा अर्चना से लेकर एक बालक स्वरूप में उनको स्नान से लेकर भोग, आरती और चालीसा का पाठ किया जाता है. लड्डू गोपाल के मनमोहक स्वरूप को घर में स्थापित कर उनकी सच्चे मन से पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. शास्त्रों की मानें तो जो व्यक्ति श्री लड्डू गोपाल जी की विधिवत पूजा अर्चना करता हैं लड्डू गोपाल चालीसा (Laddu Gopal Chalisa) का पाठ करता है. भगवान विष्णु उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.
श्री लड्डू गोपाल चालीसा- Laddu Gopal Chalisa
।।दोहा।।
श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल।
वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल।।
।। चौपाई।।
जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी।
जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल पदारथ पावै।
श्री वसुदेव देवकी माता, प्रकट भये संग हलधर भ्राता ।
मथुरा सों प्रभु गोकुल आये, नन्द भवन मे बजत बधाये ।
जो विष देन पूतना आई, सो मुक्ति दै धाम पठाई ।
तृणावर्त राक्षस संहारयौ, पग बढ़ाय सकटासुर मार्यौ ।
खेल खेल में माटी खाई, मुख मे सब जग दियो दिखाई ।
गोपिन घर घर माखन खायो, जसुमति बाल केलि सुख पायो ।
ऊखल सों निज अंग बँधाई, यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई ।
बका असुर की चोंच विदारी, विकट अघासुर दियो सँहारी ।
ब्रह्मा बालक वत्स चुराये, मोहन को मोहन हित आये ।
बाल वत्स सब बने मुरारी, ब्रह्मा विनय करी तब भारी ।
काली नाग नाथि भगवाना, दावानल को कीन्हों पाना ।
सखन संग खेलत सुख पायो, श्रीदामा निज कन्ध चढ़ायो ।
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चीर हरन करि सीख सिखाई, नख पर गिरवर लियो उठाई ।
दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों, राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों ।
नन्दहिं वरुण लोक सों लाये, ग्वालन को निज लोक दिखाये ।
शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई, अति सुख दीन्हों रास रचाई ।
अजगर सों पितु चरण छुड़ायो, शंखचूड़ को मूड़ गिरायो ।
हने अरिष्टा सुर अरु केशी, व्योमासुर मार्यो छल वेषी ।
व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये, मारि कंस यदुवंश बसाये ।
मात पिता की बन्दि छुड़ाई, सान्दीपन गृह विघा पाई ।
पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी, पे्रम देखि सुधि सकल भुलानी ।
कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी, हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी ।
भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये, सुरन जीति सुरतरु महि लाये ।
दन्तवक्र शिशुपाल संहारे, खग मृग नृग अरु बधिक उधारे ।
दीन सुदामा धनपति कीन्हों, पारथ रथ सारथि यश लीन्हों ।
गीता ज्ञान सिखावन हारे, अर्जुन मोह मिटावन हारे ।
केला भक्त बिदुर घर पायो, युद्ध महाभारत रचवायो ।
द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो, गर्भ परीक्षित जरत बचायो ।
कच्छ मच्छ वाराह अहीशा, बावन कल्की बुद्धि मुनीशा ।
ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो, राम रुप धरि रावण मार्यो ।
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जय मधु कैटभ दैत्य हनैया, अम्बरीय प्रिय चक्र धरैया ।
ब्याध अजामिल दीन्हें तारी, शबरी अरु गणिका सी नारी ।
गरुड़ासन गज फन्द निकन्दन, देहु दरश धु्रव नयनानन्दन ।
देहु शुद्ध सन्तन कर सग्ड़ा, बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रग्ड़ा ।
देहु दिव्य वृन्दावन बासा, छूटै मृग तृष्णा जग आशा ।
तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद, शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद ।
जय जय राधारमण कृपाला, हरण सकल संकट भ्रम जाला ।
बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी, जो सुमरैं जगपति गिरधारी ।
जो सत बार पढ़ै चालीसा, देहि सकल बांछित फल शीशा ।
।। छन्द।।
गोपाल चालीसा पढ़ै नित, नेम सों चित्त लावई ।
सो दिव्य तन धरि अन्त महँ, गोलोक धाम सिधावई ।।
संसार सुख सम्पत्ति सकल, जो भक्तजन सन महं चहैं ।
ट्टजयरामदेव' सदैव सो, गुरुदेव दाया सों लहैं ।।
।। दोहा ।।
प्रणत पाल अशरण शरण, करुणा-सिन्धु ब्रजेश ।
चालीसा के संग मोहि, अपनावहु प्राणेश ।।
Hanuman Chalisa : दिन में इतनी बार करें पाठ तो मिलेगा शुभ फल
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना और चालीसा करने से पूर्ण होती है हर इच्छा, मिलता है भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद