दिन शुरुआत अच्छी होतो पूरा दिन बेहतरीन रहता है. इसे आपके सुबह के किए हुए काम और भी खास बनाते हैं. इसी वजह से हर कोई दिन की शुरुआत भगवान को याद करने के साथ अलग अलग तरह के मंत्रों का जाप करने के साथ स्नान आदि करके पूजा-ध्यान करने के बाद अपने कार्य को शुरुआत करते हैं. नियमित रूप से सुबह उठते ही कराग्रे वसते लक्ष्मी नामक प्रसिद्ध श्लोक को पढ़ना बेहद शुभ होता है. इसके साथ ही भूमि को स्पर्श करना चाहिए, लेकिन इसके साथ-साथ कुछ और मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए. नियमित रूप से सुबह इन मंत्रों का पाठ करने से जातकों को हर तरह के दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है. जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं सुबह के समय किन श्लोकों का पाठ करना बेहद शुभ होता है.
नियमित रूप से इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. व्यक्ति के सभी काम बनते चले जाते हैं. धन धान्य से जेब और तिजोरी तक भरी रहती है.
करें गणेश जी स्मरण
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं
सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम् . उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड-
माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ..
अर्थ- अनाथों के बन्धु, सिन्दूर से शोभायमान दोनों गण्डस्थल वाले, प्रबल विघ्न का नाश करने में समर्थ एवं इन्द्रादि देवों से नमस्कृत श्री गणेश का मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूं.’
करें भगवान विष्णु का स्मरण
प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं
नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभम् .
ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं
चक्रायुधं
तरुणवारिजपत्रनेत्रम् ..
अर्थ- ‘संसार के भयरूपी महान् दुःख को नष्ट करने वाले, ग्राह से गजराज को मुक्त करने वाले, चक्रधारी एवं नवीन कमल दल के समान नेत्र वाले, पद्मनाभ गरुड वाहन भगवान् श्री नारायण का मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ.’
शिव जी का स्मरण
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् .
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम्..
अर्थ- ‘संसार के भय को नष्ट करने वाले, देवेश, गङ्गाधर, वृषभवाहन, पार्वतीपति, हाथमें खट्वाङ्ग एवं त्रिशूल लिए और संसाररूपी रोग का नाश करनेके लिये अद्वितीय औषध स्वरूप, अभय एवं वरद मुद्रा युक्त स्वाले भगवान शिव का मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ.’
देवी का स्मरण
प्रातः स्मरामि शरदिन्दुक रोज्ज्वलाभां
सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम्
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्त्रहस्तां
रक्तोत्पलाभचरणां भवर्ती परेशाम् ..
अर्थ- शरत्कालीन चन्द्रमा के समान उज्ज्वल आभा वाली, उत्तम रत्नोंसे जटित मकर कुण्डलों तथा हारों से सुशोभित, दिव्या युधों से दीप्त सुन्दर नीले हजारों हाथों वाली, लाल कमलकी आभायुक्त चरणों वाली भगवती दुर्गा दे वीका मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ.’
सूर्य देव का स्मरण
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि . सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्..
अर्थ- सूर्य का वह प्रशस्त रूप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद हैं, जो सृष्टि आदिके कारण हैं, ब्रह्मा और शिवके स्वरूप हैं तथा जिनका रूप अचिन्त्य और अलक्ष्य है, प्रातः काल मैं उनका स्मरण करता हूँ.’
त्रिदेवोंके साथ नव ग्रह का स्मरण
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च .
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ..
अर्थ- ‘ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मङ्गल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, राहु और केतु – ये सभी मेरे प्रातःकालको मङ्गलमय करें.’
प्रकृति का स्मरण
पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः
स्पर्शी च वायुर्ज्वलितं च तेजः .
नभः सशब्दं महता सहैव
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ..
‘गन्धयुक्त पृथ्वी, रसयुक्त जल, स्पर्शयुक्त वायु, प्रज्वलित तेज,
शब्दसहित आकाश एवं महत्तत्व- ये सभी मेरे प्रातः कालको मङ्गलमय करें.’
इत्थं प्रभाते परमं पवित्रं पठेत् स्मरेद्वा श्रृणुयाच्च भक्त्या. दुःस्वप्ननाशस्त्विह सुप्रभातं भवेच्च नित्यं भगवत्प्रसादात् ..
इस प्रकार उपर्युक्त इन प्रातःस्मरणीय परम पवित्र श्लोकोंका जो मनुष्य भक्तिपूर्वक प्रातः काल पाठ करता है, स्मरण करता है अथवा सुनता है, भगवदया से उसके दुःखप्न का नाश हो जाता है और उसका प्रभात मङ्गलमय होता है.’
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है, जो लोक कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है)
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