महाभारत और पुराणों में कई रहस्यमयी और चमत्कारी पात्र हैं, जिनके जीवन में ऐसे परिवर्तन आए कि विश्वास करना मुश्किल है. पांडवों के पूर्वज इला नामक एक शक्तिशाली राजा थे, जिन्हें सुद्युम्न के नाम से भी जाना जाता था. वह मनु की पुत्री इला के वंश से थे. इला बहुत बहादुर और शक्तिशाली राजा था. लेकिन एक श्राप ने उन्हें पुरुष से एक सुन्दर स्त्री में बदल दिया. एक ऐसी महिला जिसकी खूबसूरती इतनी बेमिसाल थी कि कोई भी उसकी ओर आकर्षित हो जाए.
यह वही राजा थे जिनके पुरुष से स्त्री बनने की कहानी भीष्म ने महाभारत युद्ध के बाद शरशय्या पर लेटे हुए युधिष्ठिर को सुनाई थी. भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. इसलिए, अपनी मृत्यु से पहले, वह युधिष्ठिर को राजधर्म की सारी शिक्षा दे रहे थे. उन्होंने यह कहानी तब सुनाई जब युद्ध में बहुत से लोगों की मृत्यु के बाद युधिष्ठिर राजा नहीं बनना चाहते थे.
युधिष्ठिर ने भीष्म से एक बहुत ही विचित्र प्रश्न पूछा. "पितामह, क्या कोई व्यक्ति एक ही समय में पुरुष और फिर महिला हो सकता है और दोनों रूपों में बच्चे पैदा कर सकता है? क्या यह धर्म के अनुसार है?"
भीष्म मंद-मंद मुस्कुराये और बोले, "पुत्र! धर्म के रहस्य अनंत हैं. सुनो, मैं तुम्हें एक सच्ची कहानी सुनाता हूँ, जो मेरे अपने वंश के बारे में है. यह वंश पहले चन्द्र वंश के नाम से जाना जाता था, इस वंश में एक पराक्रमी राजा हुए, जो दोनों रूपों में रहते थे, वे थे राजा इल.
इला एक शाही राजा थे. लेकिन जब वह स्त्री बनी तो इतनी आकर्षक स्त्री बन गई कि वन में तपस्या करने आए देवता का हृदय उसकी सुंदरता पर मोहित हो गए. उन्होंने न केवल इस आकर्षक महिला को प्रेम पाश में बांधना चाहा उससे शादी भी कर ली. इससे एक बहादुर पुत्र का जन्म हुआ, जिसने बाद में राजवंश की बागडोर संभाली. राजवंश को मजबूत किया. यह कथा भागवत पुराण, महाभारत (आदिपर्व) और देवी भागवत पुराण में विस्तार से मिलती है.
राजा इला जंगल में शिकार करने गए और रास्ता भटक गए
एक बार राजा सुद्युम्न (इल) अपने मंत्रियों और सैनिकों के साथ शिकार खेलने के लिए जंगल में गए. वह घने जंगल में भटक गया. घूमते-घूमते वह उस स्थान पर पहुंच गया जहां भगवान शिव और पार्वती एकांत में रहते थे. वहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी. जब राजा इला उस स्थान पर पहुंचे तो भगवान शिव और देवी पार्वती प्रेम प्रसंग में लीन थे. इस कारण उस स्थान पर किसी का भी जाना वर्जित था.
औरत होने का अभिशाप
शिव के अनुयायियों ने सुद्युम्न यानी राजा इला को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं था. वह गिरे पड़े और अंदर चले गए. राजा को वहां आते देख पार्वती क्रोधित हो गईं. माता पार्वती ने उसे श्राप दिया कि वह स्त्री बन जायेगा.
यह कहानी दूसरे तरीके से भी कही गयी. इस वन का नाम श्रीकांत वन था. शिव ने श्राप दिया था कि जो भी पुरुष इस वन में प्रवेश करेगा वह स्त्री बन जाएगा. जैसे ही राजा इल उस जंगल की सीमा में दाखिल हुए, उनके शरीर में परिवर्तन होने लगा. मांसपेशियाँ नरम हो गईं, आवाज मधुर हो गई, चाल लचीली हो गई. कुछ ही समय में वह एक आकर्षक और सुंदर महिला बन गयी. यानि अब वह इला बन गयी.
जब राजा इला के सैनिकों और मंत्रियों ने उसे देखा तो वे आश्चर्यचकित हो गये. अब एला एक ऐसी महिला थी जो अपनी सारी पुरानी यादें भूल चुकी थी.
बुध हो गए थे उस पर मोहित
इला स्त्री का रूप धारण कर वन में घूम रही थी. कुछ लोग भ्रमित थे, कुछ शर्मिंदा थे. तभी चंद्रदेव और अप्सरा तारा के पुत्र बुध ने उसे देखा. वह तपस्या के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर आये थे. बुध ग्रह एला की ओर आकर्षित हुआ. इला स्वयं को एक साधारण स्त्री मानती थी - दोनों के बीच प्रेम पनपने लगा. फिर हमारी शादी हो गई. फिर इला ने एक बेटे को जन्म दिया. कुछ समय बाद इला ने पुरुरवा नामक पुत्र को जन्म दिया. उन्होंने अप्सरा उर्वशी से विवाह किया. वह एक महान शासक बन गया.
एक माह का नर और एक माह की मादा
इस बीच, श्राप की अवधि समाप्त हो गई और इला को अपना पिछला जीवन याद आ गया जब वह एक शक्तिशाली राजा था. उसे अपने परिवार की याद आने लगी. उसे बेचैनी महसूस होने लगी. बुद्ध समझ गये कि इला की आत्मा को अभी भी पूर्ण शांति नहीं मिली है. उन्होंने ध्यान लगाया और ऋषियों से सहायता मांगी. ऋषियों ने एक यज्ञ किया. भगवान शिव से प्रार्थना की. वह खुश हुए और बोले, "इला अब हर महीने अपना रूप बदल सकेगा, यानी वह एक महीने पुरुष होगा और अगले महीने महिला."
दोनों रूपों में बच्चे थे
अब राजा इल का जीवन दो भागों में बंट गया. यदि वह पुरुष होता तो शासन करता. यदि वह स्त्री होते तो तपस्या और पारिवारिक जीवन में डूबे रहते. उन्होंने दोनों रूपों में संतान उत्पन्न की, जिससे चन्द्र वंश का विस्तार हुआ.
युधिष्ठिर को यह कथा सुनाकर भीष्म ने कहा, "पुत्र! यह कथा हमें बताती है कि आत्मा का कोई लिंग नहीं होता. पुरुष और स्त्री - ये तो शरीर की अवस्थाएं मात्र हैं, आत्मा तो ब्रह्म का स्वरूप है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है, जो लोक कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है)
अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments

महाभारत के ये राजा श्राप से बना था रानी
एक श्राप के चलते पांडवों के पूर्वज राजा बन गए थे मोहक स्त्री, दोनों रूपों में दिया था बच्चों को जन्म