Shri Ram And Hanuman Ji Fight: सभी जानते हैं कि हनुमानजी से बड़ा भगवान राम का कोई भक्त नहीं है, जो भगवान राम के प्रेम में अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाते हैं. हनुमानजी ने अपनी छाती फाड़कर यह दिखाया था कि उनके हृदय में केवल भगवान राम ही निवास करते हैं. वहीं भगवान राम भी हनुमानजी को अपना मित्र मानते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक बार भगवान राम और हनुमानजी के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. यह युद्ध पांच दिनों तक चला, जिसमें बजरंगबली भगवान राम के नाम का ही सहारा लेकर जीत गये. आइए जानते हैं क्या है ये कथा...
सुकंत की रक्षा के लिए आमने सामने आए राम और हनुमान
रामकथा में जिक्र किया गया है कि श्री राम और हनुमानजी सिर्फ एक दूसरे के खिलाफ ही नहीं लड़े थे. दरअसल, उनके बीच पांच दिन तक युद्ध चला था. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवलोक में संतों की एक बैठक आयोजित हुई थी. इस बैठक में विश्व के सभी तेजस्वी एवं बुद्धिमान संतों ने भाग लिया. उनमें एक संत भी थे जो कभी राजा थे. उनका नाम सुकंत था, लेकिन उन्होंने अपना राज्य त्याग दिया और भिक्षु बन गए. जब वे मुनियों की उस सभा में पहुंचे तो उन्होंने सभी ऋषियों और मुनियों को प्रणाम किया, किन्तु ऋषि विश्वामित्र को प्रणाम नहीं किया. यह देखकर ऋषि विश्वामित्र बहुत दुःखी हुए और मुनियों की सभा छोड़कर चले गये. जब ऋषि विश्वामित्र अयोध्या लौटकर श्री राम से मिले तो श्री राम ने उन्हें उदास देखा.
तब भगवान राम ने शपथ ली
जब भगवान राम को इसका कारण पता चला तो उन्होंने शपथ ली कि वे ऋषियों का अपमान करने के अपराध में राजा सुकंत का वध कर देंगे. जब साधु बन चुके राजा सुकंत को इस बात का पता चला तो वे तुरंत हनुमानजी की माता अंजनी के पास गए और प्रार्थना की कि उनके प्राण खतरे में हैं. उन्होंने अपने पुत्र हनुमान जी से सुकंत की रक्षा करने को कहा. इस बात से अनभिज्ञ कि भगवान राम ने राजा सुकंत को मारने की प्रतिज्ञा की थी, माता अंजनी ने हनुमानजी को राजा सुकंत की रक्षा करने का आदेश दिया.
माता के कहने पर हनुमान जी ने दिया वचन
अपनी माता अंजनी के कहने पर हनुमानजी ने राजा सुकंत की रक्षा करने का वचन दिया. और जब उनसे पूछा गया कि उनकी जान को किससे खतरा है, तो राजा सुकंत ने कहा कि भगवान श्री राम स्वयं उन्हें मारना चाहते हैं. उन्होंने पूरी घटना हनुमानजी को सुनाई. क्योंकि हनुमानजी ने उनकी रक्षा करने का वचन दिया था. इसलिए उन्हें भगवान राम से युद्ध करना पड़ा.
भगवान के नाम का सहारा लेकर जीते हनुमान
हनुमानजी और श्री राम के बीच 5 दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ. हनुमानजी ने राम नाम का एक घेरा बनाया और राजा सुकंत को उस घेरे में बिठाया. ऐसी स्थिति में भगवान राम द्वारा राजा सुकंत पर चलाया गया कोई भी बाण 'रामनाम' के प्रभाव से निष्फल हो जाता था. जब ऋषि विश्वामित्र ने देखा कि हनुमानजी की श्री राम के प्रति भक्ति इतनी दिव्य है कि भगवान राम के बाण भी उनके नाम के सामने काम नहीं करते. तब ऋषि विश्वामित्र ने राजा को माफ कर दिया और श्री राम से युद्ध रोकने के लिए कहा. इसीलिए कहा जाता है कि राम का नाम भगवान राम से भी बड़ा है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है, जो लोक कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है)
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राम और हनुमान जी के बीच जानिए 5 दिनों तक क्यों हुआ था युद्ध, उन्हीं का नाम लेकर ऐसे जीत गए थे बजरंगबली