जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव गहराता जा रहा है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत सरकार फुल एक्शन मोड में है और मामले में सरकार ने कई फैसले भी लिए हैं. भारत के इन कदमों से पाकिस्तान मानो बौखला सा गया है. भारत के फैसलों में सिंधु जल समझौते का निलंबन और वाघा-अटारी बॉर्डर बंद करने जैसे फैसले भी शामिल हैं. ऐसे में पाक अब सिंधु जल समझौते को लेकर लगातार भारत को धमकियां दे रहा है.
पाकिस्तान ने खुद के पैर पर मारी कुल्हाड़ी
शिमला समझौते को स्थगित करके पाकिस्तान ने शायद खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि अगर पाकिस्तान की सरकार ताशकंद समझौते को खत्म करती है तो इससे खुद पाक को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है, क्योंकि इसका मतलब है कि भारत को अब नियंत्रण रेखा (एलओसी) का सम्मान करने की जरूरत नहीं है. शीर्ष सरकारी सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के इस कदम का शाब्दिक अर्थ है कि अब एलओसी अस्तित्वहीन है, जिससे भारत को इसे पार करने का लाइसेंस मिल गया है.
शिमला समझौते ने 1971 की युद्ध विराम रेखा को नियंत्रण रेखा में बदल दिया था, जिसमें कहा गया था कि कोई भी पक्ष एकतरफा तरीके से इस रेखा को बदलने की कोशिश नहीं करेगा. सरकारी सूत्रों का कहना है अब इसे बदला जा सकता है, जबकि भारत ने समझौते का सम्मान किया था. वहीं, पाकिस्तान ने 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान इसका उल्लंघन किया था. जबकि भारत ने तब भी नियंत्रण रेखा को पार न करने का फैसला किया था.
क्या होगा इसका प्रभाव
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम भी समाप्त हो जाएगा. अब अगर यह समझौता खत्म होता है तो Loc पर तनाव बढ़ने की पूरी संभावनाएं हैं. दोनों देशों की सेनाएं बिना किसी कानूनी रोक-टोक के एक-दूसरे के खिलाफ कार्रवाई कर पाएंगी. शुक्रवार को नियंत्रण रेखा पर कुछ स्थानों पर पाकिस्तान की ओर से छोटे हथियारों से गोलीबारी की गई, जिसका भारतीय सेना ने प्रभावी ढंग से जवाब दिया था.
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शिमला समझौता तोड़ पाकिस्तान ने अपने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी! क्या भारत के लिए खुला Pok का दरवाजा