पाकिस्तान के इतिहास में जस्टिस आयशा मलिक का नाम दर्ज हो गया है. जस्टिस मलिक पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज हैं. हालांकि, भारत ने अपने नाम यह उपलब्धि 1989 में ही हासिल कर ली थी. जस्टिस फातिमा बीबी भारत के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाली पहली महिला जज थीं. जानें कौन हैं जस्टिस आयशा मलिक और क्यों मिली उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी.
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जस्टिस मलिक ने दुनिया के बेहतरीन माने जाने वाले हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएएलएम की पढ़ाई की है. उन्होंने लाहौर के मशहूर पाकिस्तान कॉलेज ऑफ लॉ से एलएलबी की डिग्री ली है. उनकी स्कूली शिक्षा पेरिस, न्यूयॉर्क और कराची में हुई है.
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सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त किए जाने से पहले उन्होंने लाहौर हाई कोर्ट में अपनी सेवाएं दी हैं. जस्टिस मलिक लाहौर हाई कोर्ट की भी पहली महिला जज थीं. बतौर हाई कोर्ट जज उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं.
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जस्टिस मलिक की पहचान पाकिस्तान में प्रगतिशील विचारों की महिला के तौर पर हैं. बतौर जज उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं. जनवरी 2021 में उन्होंने पाकिस्तान में रेप मामलों की जांच के लिए इस्तेमाल होने वाले विवादित 'two-finger' वर्जिनिटी टेस्ट को रद्द करने का ऐतिहासिक निर्णय दिया था. उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि रेप की घटनाओं को पीड़िता की वर्जिनिटी से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है.
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जस्टिस मलिक ने एक विदेशी पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वह खुद को महिलाओं की आवाज मानती हैं. उन्होंने कहा, 'मेरे लिए सबसे बड़ी और जरूरी बात यही है कि मैं आज बहुत सी और बहनों की आवाज हूं. मैं सड़ी-गली मान्यताओं को खारिज करने और लैंगिक समानता के लिहाज से एक आवाज हूं.'
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सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की जानी-मानी हस्तियों ने जस्टिस आयशा मलिक को बधाई दी है. हालांकि, उनकी नियुक्ति पर विवाद भी जारी है. कानूनी पेशे से जुड़ी कुछ पाकिस्तानी हस्तियों का मानना है कि जस्टिस मलिक की नियुक्ति में वरिष्ठता को दरकिनार किया गया है.